दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: युग परिवर्तन

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✍ लेखक की कलम से……
हरेक सौ बर्ष के बाद एक वैष्विक महा मारी पीछले सात सौ बर्षों से आती रही है सिर्फ इसकी पहिचान के लिए समय समय पर अलग अलग नाम दिये गये है यह वाक्या देखने सुनने में आता रहा है व पिछला इतिहास की पुस्तकें पढने मात्र से ध्यान में आ रहा है व हर सौ बर्ष की वैष्विक महा मारी के बाद “युग परिवर्तन” की घटनाएं होती रही है जो आज भी पुरे संसार में होती दिखाई दे रही है वह जानकारों की माने तो यह बदलाव यानि कि “युग परिवर्तन” सन 2020 कोरोना काल से लेकर सन 2025 तक संसार में होते दिखाई देंगे।

पिछले शताब्दी यानि की सन 1919 में वैष्विक महा मारी आने के बाद (101 बर्ष पहले) ऐसे ही बहुत से “युग परिवर्तन” हुआ था जिसमें प्रगत राष्ट्रों में यह बदलाव देखने मिला था, इस महा मारी के बाद मनुष्य प्राण हानि (लोगों का इस बिमारी से मरना) बहुत ज्यादा होने के कारण इन प्रगत राष्ट्रों ने मेडिकल कॉलेजों, डाँक्टरों व साथ ही दवाईयों का उत्पादन बढाने पर जोर दिया था मगर अपना भारत देश उस जमाने में इतना प्रगति किया हुआ नहीं होने की वजह से मेडिकल लाईन में कुछ ज्यादा प्रगति नहीं कर पाया था, भारत की वास्तविक प्रगति सन 1980 के बाद से लेकर शुरु हुई थी जो इस बार सन 2020 में कोरोना के समय में जल्द गति से वेक्सिन बनाकर संसार के अधिकतम देशों को सप्लाई करी थी यह भारत का नया स्वरुप यानि की “न्यू इंडिया” का कमाल सबने देखा वह विश्व प्रसिद्धी भी मिली वह मानव सेवा का व्रत (विश्व मेरा कुटुंब है) भी पूरा करने का शुभ अवसर मिला व अपने देश में भी बहुत सी मौते कोरोना काल में होने बचाई गई थी।

वर्तमान में एक सर्वे के अनुसार युरोप के प्रगत देशों में एक लाख जनसंख्या के पीछे 17 डाँक्टरों की टीम सेवारत है जबकि हमारे भारत देश में एक लाख जन संख्या के पीछे 11 डाँक्टरों की टीम कार्यरत है, इसी कमी को पुरा करने हेतू केन्द्रीय सरकार मेडीकल कालेजों की संख्या बढाकर प्रतिक्षण देकर डाँक्टरों की संख्या बढाकर भविष्य में किसी प्रकार की वैधकीय सुविधा में कमी ना रहे इस काम कर रही है।

अब इस डाँक्टरों की पढाई के कालेज हर बड़े शहरों में नये-नये शुरु हो रहे है, दवाईयां की फैक्ट्रियों की संख्या भी बढाई जा रही है, इसलिए भविष्य में कोई बड़ी महा मारी आने पर हमारे देश की जनता को बचाया जा सकेगा।

“युग परिवर्तन” का अर्थ यह होता हो की हर वैष्विक महामारी के बाद पुरे संसार का उत्पादन का ढाचा लाँक डाउन के कारण विचलित हो जाता है व व्यौपार थम जाता है साथ ही अनेक फैक्ट्रियों में स्केल वर्क करने वाला कारीगर जगह छोड़कर इधर उधर हो जाता है, स्थालान्तर होने की वजह से उत्पादन रुक जाता है व कच्चे माल की आवक रुक जाने के कारण बहुत से समाँल स्केल की रैंज में चलनी वाले कारखाने बंद पड़ जाते या धीमी गति से चलने के कारण सभी क्षैत्र ओं में यह बदलाव देखने को मिल रहा है इसी कोबुद्धिजीवी “युग परिवर्तन” कहते है।

आज भारत की बात करे तो सभी जगह मंदी का दौर चल रहाहै व यह सन 2025 तक यह व्यापार की गाड़ी फिर से पटरी पर लौट आएगी ऐसा तज्ञ लोगों का अंदाज है, कुछ लोग नया धन्धे का सोच रहे है कुछ दुकानें बंद हो गई है, कुछ नई फैक्ट्रियां शुरु होगी कुछ बंद हुई है यह सारा संसार का अदल बदल का खेल ही “युग परिवर्तन” कहलाता है ओर यह हर सौ वर्ष के बाद हर वैष्विक महामारी के बाद यह बदलाव दिखाई देता रहा है बस यही “युग परिवर्तन” है।
लेख में त्रुटि के लिए “क्षमा याचना” है मेरी ओर से…… 🙏🙏

जय श्री विश्वकर्मा जी की
लेखक: दलीचंद जांगिड सातारा महाराष्ट्र
मो:- 9421215933

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