दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं मरुधर रो रेवासी हूं……

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मैं मरुधर रो रेवासी हूं……
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राजस्थान मरुधर देश मारो
मैं रेगिस्तान में रेवण वाळो
पाणी री कमी हर गरमीयों में
हम खास मैं देखण वाळो
करु मारा मरुधर देश री बातों

हियाळा में ठंड पड़े गणी जोरकी
सौमाशा में बरखा पड़े थोड़की
उन्हाळा में लू बाजे तेज धोड़ती
सौमाशा में दो बरखा होवे जोरकी
बाजरी मोट कळत खेत में पाके
हजारों मण ढिगला लागे बाजरी का

मतीड़ा पाके भर भर ऊंटगाड़ा
पाणी री हौदी मारी भर भर जावे
पिवण स्नान रे पाणी री चिंता
मारी बर्ष आखा री मिट जावे
आदत पड़ गई अठै रेवण की
नहीं मन मारो दूजा देश मा लागे

ओ प्यारों प्यारों है लाड दूलारो
मारो आछो सोको मरुधर देश..
ऊंचा ऊंचा रेती रा टिल्ला
नहीं दूर दूर पेड़ वनस्पति री बेल
केर सागरी सुखी गुवारफळी
राबोड़ी घीसीया सुखी कासरी

मतीरा काकडी रा सुखा खेलड़ा
इण री सब्जी बणे अजब-गजब
पीटलो सूनबड़ी कड़ी छाछ़ री
देशी मिठ्ठी बाजरी रा सोगरा
स्टार होटलों में चले आ डीस

भैळा बैठ खाता खाता कोड करे
गुवाड़ी रा टाबरीयां लोक लुगाई
आखी मिले मिले तो है भर पेट
बताओ एड़ो मज्जो है किण देश
ओ है मारो प्यारों मरुधर देश
राजस्थान मरुधर देश मारो
मैं रेगिस्तान में रेवण वाळो
पाणी री कमी हर गरमीयों में
मैं हम खास देखण वाळो

शुध्द खाणो शुध्द पाणी शुध्दहवा
बिगर टेन्शन रो ओ जीवन अठै
एड़ो रेवण रो बढीया मज्जो कठै
एड़ी सुविधा थाने मिलेला किण देश
मने नहीं आवड़े किसो ही प्रदेश
मारो मन लागो मरुधर देश
ओ है मारो प्यारों मरुधर देश….
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जय श्री विश्वकर्मा जी री सा
लेखक दलीचंद जांगिड सातारा महाराष्ट्र

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