कवि दलीचंद जांगिड सातारा की कलम से: लिख दूं इतिहास की किताब
लिख दूं इतिहास की किताब
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आओ कुछ देर साथ चलें एकान्त में
दुनिया की भीड़ से कही दूर चलें
तुम जान लो कवि के मन की बात
कवि जान ले तुम्हारे अंदर की बात
तब जाकर कही थोड़ी सी बात बने
तुम संस्कृति वर्तमान की बताओं…
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