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दीपक आहूजा

दीपक आहूजा की कलम से: अंतस् की खोज

अंतस् की खोज आज अंतस् में यह कैसी, अविरल गहन शाँति है, विचलित था जो मन मेरा, टूट गई इसकी भ्रांति है। कसक जो उठती थी, आज देखो विलुप्त हो रही, यह ज्ञान चक्षु तो खुल गए, हो गयी नयी क्रांति है। परम शाश्वत, परमानन्द ईश्वर भी, जैसे मिल…
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दीपक आहूजा की कलम से: सकल संसार

सकल संसार मन में पिया की तस्वीर, इस तरह विराजमान है, दिखती है छवि उनकी, सुंदरता का बखान है। सकल संसार ढूँढ कर आया, नैन हो गए भारी, अपने हृदय में डूब कर, तरने की कर ली तैयारी। पीहू बोले, पपीहा बोले,…
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दीपक आहूजा की कलम से: सच्ची तपस्या

सच्ची तपस्या सच्चा प्रेम तो, एक सच्ची तपस्या ही है, दिल में विराजमान, दिल में बसा ही है। सहारा नहीं, विश्वास का साथ चाहता है, सिर्फ़ प्रियतम से नहीं, ईश्वर से नाता है। अपना सर्वस्व त्याग कर, पराकाष्ठा पाई, तब कहीं जा के, हृदय में…
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