दीपक आहूजा की कलम से: सकल संसार
मन में पिया की तस्वीर, इस तरह विराजमान है, दिखती है छवि उनकी, सुंदरता का बखान है।
सकल संसार
मन में पिया की तस्वीर, इस तरह विराजमान है,
दिखती है छवि उनकी, सुंदरता का बखान है।
सकल संसार ढूँढ कर आया, नैन हो गए भारी,
अपने हृदय में डूब कर, तरने की कर ली तैयारी।
पीहू बोले, पपीहा बोले, बोलती कोयल, चिरैया,
गरज बरस, तेज़ तूफ़ानों में, न डोलती ये नैय्या।
विश्वास की पतवार लिए, नाव खेवे मेरा खेवैया,
तीन ताल पर नाचता ये मन, कहानी रचे रचैया।
निर्गुण चित्त में सरस यादें, हर पल महकती हैं,
यह श्वासों की उड़ती चिड़िया, सदा चहकती है।
नाम कुछ भी रख दो, भावना रहेगी वही प्यारी,
यह बातें मिठास भरी, हैं जग से बिल्कुल न्यारी।
जब तक नम हैं आँखें, सुंदर लगती सारी सृष्टि,
तेरी कृपा से कृपानिधान, हो गई समग्र ये दृष्टि।
पिया के साथ तो, सब कुछ जीवंत सा लगता है,
एक छोटा सा प्यार का पल, अनंत ही बनता है।
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