सतकुंभा उत्सव 2024: आस्था और विश्वास की शक्ति नैया को पार कराती है: श्रीमहंत राजेश स्वरुप जी महाराज

परम श्रद्धेय पीठाधीश्वर राजेश स्वरुप महाराज ने कहा कि सनातन शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास है। उतराखंड से आए वेदपाठियों ने मंत्रोच्चारण कर वातावरण पावन और पवित्र किया है।

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  • शिव पार्वती कथा पर प्रस्तुत की गई झांकियां आकर्षण का केंद्र बनी   
  • व्यास पवन देव चतुर्वेदी बोले गृहस्थ में प्रेम, सामर्थ्य, समर्पण, और सतीत्व का महत्व है

गन्नौर, (अजीत कुमार): सिद्धपीठ सतकुंभा धाम तीर्थ के पीठाधीश्वर श्रीमहंत राजेश स्वरूप जी महाराज ने रविवार को कहा कि आस्था प्रेम और विश्वास की शक्ति जीवन की नैया करवाती है। यह वक्तव्य सात दिवसीय सतकुंभा उत्सव के द्वितीय दिवस उद् बोधन में बतलाया।

Satkumbha Utsav 2024: The power of faith and belief takes the boat across: Shri Mahant Rajesh Swaroop Ji Maharaj
सोनीपत: रक्तदान शिविर लगाने वाले समाज सेवियों को सम्मानित करते हुए।

परम श्रद्धेय पीठाधीश्वर राजेश स्वरुप महाराज ने कहा कि सनातन शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास है। उतराखंड से आए वेदपाठियों ने मंत्रोच्चारण कर वातावरण पावन और पवित्र किया है। वृदावन से आए आचार्य व्यास पवन देव चतुर्वेदी की टीम ने शिव पावर्ती प्रसंग को प्रस्तुत किया, यहां पर हरियाणा के अलावा, उत्तराखंड, दिल्ली, चंडीगढ, उत्तर प्रदेश प्रभु भक्तों की उपस्थिति श्रीराम की कृपा का हमें पात्र बना रही है। डा. कांता शर्मा, एडवोकेट शिवेंदु भारद्वाज, अंशु शर्मा के साथ सैकड़ों प्रभु भक्तों ने शिव स्तोत्र महायज्ञ में में आहुति डाली। सतकुंभा उत्सव में गन्नौर, खरखौदा, गोहाना, खेड़ी गुज्जर, अहीर माजरा, बििलंदपुर आदि से हजारों भक्तों की उपस्थित रही।

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सोनीपत: गद्दी पर आचार्य व्यास पवन देव चतुर्वेदी जी महाराज।

आचार्य व्यास पवन देव चतुर्वेदी जी महाराज ने कहा कि शिव पार्वती के विवाह की हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार, पार्वती ने अपने तपस्या और तप के बल पर भगवान शिव को प्राप्त किया। पार्वती ने बहुत लंबे समय तक तपस्या की थी और उन्होंने अपनी साधना से भगवान शिव को प्रसन्न किया। शिव ने पार्वती का विवाह स्वीकार किया। इस विवाह के बाद, उन्होंने अनेक पुत्रों को जन्म दिया, जिनमें गणेश और कार्तिकेय शामिल हैं। शिव पार्वती प्रसंग के दौरान दिव्य संदेश में कहा कि यह कथा प्रेम, सामर्थ्य, समर्पण, और सतीत्व का महत्व बताती है। पार्वती की तपस्या, समर्पण, और उनका भगवान शिव के प्रति अटूट विश्वास दिखाती है समझाती है। आचार्य व्यास के साथ में आचार्य जितेंद्र कृष्णम, पाठाचार्य बाबुलनाथ चतुर्वेदी, उपाचार्य अमन पांडेय। संगीत देने वालों में साजिंदे सुनील नागर, उत्तम शर्मा, राम प्रसाद शर्मा रहे। जबकि राम अवतार शर्मा, आकाश शर्मा ने शिव पावर्ती की झांकियां प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया।

 

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