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दलीचंद जांगिड

दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: जांगिड सुथार समाज का “विश्वकर्मा महाकुंभ”

जांगिड सुथार समाज का "विश्वकर्मा महाकुंभ" "विश्वकर्मा महाकुंभ" की तैयारियां, हो रही है जयपुर में जोर तौर से..... कविता व लेख लिखना ये हंगामा खड़ा करना मकसद नही है मेरा, समाज में प्रगति की लहर दोड़ी चली आएं !! जांगिड सुथार समाज…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: पढंरपुर वारी

पढंरपुर वारी ............................ पढंरी ची वारी ला नाचत नाचत मी चाललो विठ्ठला चा द्वारी संसारी आठवणी विसरुन सारी अंग माझे जागृत होते मन माझे सून झाले भक्ति रसात मी बुड़ालो हरि किर्तन करित करित अन्तर ध्यानात् मी बुड़ालो  …
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि की धनसंपदा

कवि शब्दों की दुनिया में उपासक स्वरुप होता है, करुणा, दया, क्षमा, याचना, प्रार्थना,उपासना, प्रेम ये सब बालक कवि के प्रेमी मित्र होते है वह कवि इन छोटे शिशु सखाओं के साथ अठखेलियाँ करता रहता है,बाल लिलाएं करता रहता है, इसीलिए कवि रमता योगी…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कविता अमर रहती है (सिरियल न. 3)

कविता अमर रहती है(सिरियल न. 3) ======================= लोग कहते है कविता समय बर्बाद करती है, ये क्या कम है कि कवि जाने के बाद दुनिया याद करती है !! कविता व लेख लिखना ये हंगामा खड़ा करना मकसद नही है मेरा, समाज में प्रगति की लहर…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं हूँ एक मारवाड़ी

मैं हू एक मारवाड़ी .................................... आप हमे मारवाड़ी कहते हो मन को अच्छा लगता है जरुर यह हमारे क्षैत्रीय भाषा से नामकरण है जो हमारा जन्म भूमि से नाता जोड़ता है आप तो याद रखकर यह भी कह देते जहां नही जाएं रेलगाड़ी…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि को कभी अलविदा मत कहना

कवि को कभी अलविदा मत कहना .................................................... कवि तन से बुढ़ा भले ही हो जाएं कवि कविताओं से हर दिन हर पल यौवन पाता रहता है समय का रथ चलता रहता है कवि कविताओं के रस में पल पल बहता रहता है कवि का मन…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस “करो योग रहो निरोग”

          आरोग्य विषय पर नेक सलाह आज अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस का नोवा वर्ष है, योग शरीर को तंदुरुस्त रखने के साथ साथ मन का भी शुध्दीकरण करता है प्रेम भावना बढाता है  *"सारा विश्व मेरा कुटुंब है मैं इस परिवार का सदस्य हूं यह भावना भी अंतर मन…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: प्रार्थना समाज प्रगति की लिखता हूं

प्रार्थना समाज प्रगति की लिखता हूं ................................................................. एक समाज मुख्या के मन के भाव, कवि कलम लिख देती है.... प्रार्थना समाज प्रगति की.. समाज विकास के लिए, विश्वकर्मा जी से वरदान मांगता…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: आवाज बुलंद करो

आवाज बुलंद करो एक ही नारा है हमारा अब तो हमें पानी चाहिए.... हम सब एक है हम सब साथ साथ है आवाज बुलन्द करो हमे पीने का पानी चाहिए.... हमें जीने का मानवी अधिकार आम आदमी का चाहिए कलकारखानों की निर्मिती चाहिए ईन दो हाथो को काम चाहिए…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: संगत का फल

संगत आदमी को जीरो से हिरो बना सकती है केवल ज्ञानी, व संस्कारी लोगों के सहवास से..... ✍ लेखक की कलम से...... मन का एक विक पोईन्ट यह है की आप जो रोज रोज देखते हो, बोलते हो, सुनते हो, खाते हो, पीते हो बस यही दृष्य मन बार बार देख व सुन लेता…
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