कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: ब्रह्मऋषि अंगिरा जी आरती

जय ऋषि अंगिरा, स्वामी जय ऋषि अंगिरा। परम पिता सुख दाता, हरे सकल पीरा।।

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ब्रह्मऋषि अंगिरा जी आरती
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🕉️जय ऋषि अंगिरा, स्वामी जय ऋषि अंगिरा।
परम पिता सुख दाता, हरे सकल पीरा।।🕉️

आदि सृष्टि में उपजे, गुरु पद प्राप्त किया।
ब्रह्मदिक ऋषियों को, सद उपदेश दिया।। 🕉️

अथर्ववेद युग दृष्टा, बहु विधी श्रुति गावें।।
अंगिरस गुरु बृहस्पति, सुर गुरु कहलावे।। 🕉️

वंशज भये भुवन सुत, भौवन विश्वकर्मा।
ब्रह्मा सम गुणवन्ता , रक्षक श्रुति धर्मा।। 🕉️

यज्ञ हेतु अग्नि का, अविष्कार किया।
आश्रम अंगिरा का, पावन धाम भया।। 🕉️

शीश जटा मणि सोहे, तिलक भाल साजे।
कांधे सूत्र जनेऊ, पीताम्बर साजे।। 🕉️

From the pen of poet Dalichand Jangid Satara: Brahmarishi Angira ji Aartiतक्षशिला आर्यवर्त में, गुरुकुल खोल दिया।
विश्वविधा का जग में, ज्ञान विकास किया।। 🕉️

जांगल देश तपोबल, धनुर्वेद ज्ञाता।
जंग हेतु जांगिड, ब्राह्मण विख्याता।। 🕉️

गुरु महिमा ऋषि आरती, जो कोई जन गावें।
‘हरिदेव’ शरणागत, सुख सम्पति पावें।। 🕉️

🕉️जय ऋषि अंगिरा, स्वामी जय ऋषि अंगिरा।परमपिता सुख दाता, हरे सकल पीरा।। 🕉️

प्रेम से बोलो, जोर से बोलो
सब मिलकर बोलो
“ब्रह्मऋषि अंगिरा जी की जय”
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लेखक:- दलीचंद जांगिड सातारा महाराष्ट्र
पैत्रिक गांव
खौड जिला पाली राजस्थान
मो:-9421215933

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7 Comments
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