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साहित्य:रूपा की आजी (कहानी)

-रामवृक्ष वेणीपुरी- कुछ दिन चढ़े, मैं स्कूल से आकर, आंगन में पलथी मारे चिउरा-दही का कौर-पर-कौर निगल रहा था कि अकस्मात मामी ने मेरी थाली उठा ली, उसे घर में ले आई। पीछे-पीछे मैं अवाक् उनके साथ लगा थाय थाली रखा मुझ से बोली- बस, यहीं खा, बाहर…
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