कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: यज्ञ का मानव जीवन में महत्व

समाज में सभी धार्मिक एवं नित्य कर्मों में यज्ञ का महत्व प्राचीन काल से प्रशलित है। भारतीय ऋषियों ने जन कल्याण हेतु यज्ञ की विधी करने को प्राथमिकता दी है। यज्ञ के सारे मंत्र संस्कृत में वेदों में लिखे गये है, वह वर्तमान में नव युवा पीढ़ी संस्कृत में रुचि नही लेती है या संस्कृत भाषा का अभ्यास है ही नही, इस कारण वैदिक परम्पराओं में कमी देखने को मिल रही है।

Title and between image Ad

सतारा/मुंबई/जीजेडी न्यूज: प्रति दिन घर में करने वाला प्रातःकालीन यज्ञ। मनुष्य के पास अपनी दो चीजे है, वह है अपना शरीर व आत्मा! दैनिक जीवन को वेदों के अनुसार जीने से शरीर स्वस्थ और आत्मा पवित्र बन जाती है। जीवन को उत्तम बनाने के लिए हमें वैदिक नित्य कर्मो को अपनी दिनचर्या में स्थान देना चाहिए।

समाज में सभी धार्मिक एवं नित्य कर्मों में यज्ञ का महत्व प्राचीन काल से प्रशलित है। भारतीय ऋषियों ने जन कल्याण हेतु यज्ञ की विधी करने को प्राथमिकता दी है। यज्ञ के सारे मंत्र संस्कृत में वेदों में लिखे गये है, वह वर्तमान में नव युवा पीढ़ी संस्कृत में रुचि नही लेती है या संस्कृत भाषा का अभ्यास है ही नही, इस कारण वैदिक परम्पराओं में कमी देखने को मिल रही है।

अब बड़े शहरों में सभी जगह वैदिक साहित्य संग्रहालय के रुप में अनेक सटाँर (दुकाने) खुल चुके है वह तैयार सामग्री की बिक्री कर रहे है, जिसमे ज्यादा वस्तुएं आपको खोजकर लानी नही होती है। वह सारी यज्ञ सामग्री (समिधा) तैयार पेकिंग के रुप में मिल जाती है। एक यज्ञ पात्र, तांबे के लोटे, मिट्टी का दीपक, यज्ञ करते समय पहनने का वस्त्र (यज्ञोपवित), आहुती देने वाले चमच (श्रुवा) व किराणा सटाँर से चावल, जौ, तिल, गुड़, धूप, गूगल, उडद, शक्कर, गाय का घी मिलाकर समिधा (लकड़ीयां) से अग्नि प्ररजोलित होने के पश्चात आप यज्ञ शुरु कर सकते है, स्वाहा का उच्चारण करने के पश्चात ही दस आहूतियां दे सकते है। यदि आप को यज्ञ के मंत्रों की जानकारी नही है तो आप गायत्री मंत्र बोलकर भी दस आहुतियों के द्वारा रोज प्रातःकालीन यज्ञ सम्पन्न कर सकते है। यह छोटा यज्ञ प्रार्थना स्वरुप का होता है, जिसका बहुत महत्व होता है।

प्रार्थना का अर्थ
“प्रार्थना” शब्द का अर्थ “मांगना” या “याचना” नही है परन्तु “चाहना” होता है। अपने ह्रदय के भाव को ईश्वर के सन्मुख रखना होता है। इसे ईच्छा शक्ति का विकास भी कहते है, जिससे जीवन की दिशा को नया मोड़ भी मिलता है, जिसमे उसकी सफलता निहित है। ईच्छा शक्ति से पूर्ण पुरुषार्थ की कामना उत्पन्न होती है और उत्तम कर्मों की सिद्दी होती है। आत्मशुध्दि के लिए ईश्वर से प्रार्थना से बढ़कर कोई अन्य शस्त्र संसार में नही है, इसीलिए प्रातःकाल में रोज यह छोटा यज्ञ “प्राथना” के रुप में जरुर करना चाहिए।

यज्ञ का स्थान
यह प्रार्थना यज्ञ अपने घर के किसी खुले स्थान पर कर सकते है जहा सुर्य की किरणों का आना आवश्यक है, उस स्थान का शुद्धी (पवित्र) करण करके उस स्थान पर किया जा सकता है।

पोशाक
यज्ञ वस्त्र (यज्ञोपवित) धारणकर कर सकते है या यह वस्त्र की उपलब्धता नही होने पर सफेद कुर्ता व पायजमा पहनकर भी किया जा सकता है, वस्त्र धुले हुए पवित्र होना चाहिए।
अगर आप कुछ मित्रों के उच्चारण के साथ यज्ञ करना चाहते है तो जरुर ध्यान दिजीएगा जी
यज्ञ के प्रारम्भ में इन मंत्रों का पाठ किया जाता है। यधपि ये मंत्र अग्निहोत्र से पहले आचमन मंत्र “शन्नोदेवी” का उच्चारण करणे तीन बार आत्मन के पश्चात इन मंत्रों का पाठ किया जाता है।

सरल पाठ =1
ओअम् विश्वानि देवसवि तरदुरि तानि परासुव।
यद भद्रं तन्न आसुव।।

सरल पाठ=2
ओअम् हिरण्य गर्भ: समवर्त ताग्रे भूतस्य जात: पति रेक आसीत्।
सदाधार पृथिवी धा मुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम।।

सरल पाठ=3
य आत्मदा बलदा यस्य विश्व उपासते प्रशिषं यस्य देवा:।
यस्य छाया इमृत यस्य मृत्यु:, कस्मै देवाय हविषा विधेम।।

सरल पाठ=4
ओअम् य:प्राणतो नि मिषतोमहि तवै क इन्द्राजा जगतो बभूव।
य ईशे अस्य दिव् पदश चतुषपद:, कस्मै देवाय हविषा विधेम।।

सरल पाठ=5
येन घौ रुग्रा पृथिवी चद्दढ़ा,
येन स्व: स्तभितं येन नाक।
यो अन्तरिक्ष रजसो विमान:,
कस्मै देवाय हविषा विधेम।।

सरल पाठ=6
प्राप्ते नत्व देता न्यन्यो विश्वा
जातानि परिता बभूव।
यत् कामास्ते जुहु मस्तन्नो अस्तु
वयं स्याम पतयो रयीणाम्।।

सरल पाठ=7
स नो बनधुरजनिता स विधाता
धा मानि वेद भुवनानि विश्वा।
यत्र देवा अमृत मान शाना
स्तृतीम धामन्न हयैरयन्त।।

सरल पाठ=8
ओअम् अग्ने नय सुपथा राये अस्मान्
विश्वानि देव क्युनानिं विध्दान्।
युयो ध्यस्म ज्जुहु राण मेनो यूयिष्,
ठान्ते नम उकितं विधेम।।

यह ईश्वर स्तुति के आठ मंत्र है, जो मनुष्य यह आठ मंत्रों को यज्ञ के समय में उच्चारण करे तो शरीर स्वास्थ्य के साथ धन धान्य वस्त्रों आदि से सुखी जीवन पाता है, यथा योग्य दान पुन्य का कर्म भी करते रहना चाहिए।

कवि: दलीचंद जांगिड सातारा महाराष्ट्र
मो: 9421215933

यह पढ़ें कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: प्रभात वंदना

Connect with us on social media
8 Comments
  1. marizon ilogert says

    You could certainly see your skills in the work you write. The sector hopes for even more passionate writers such as you who are not afraid to mention how they believe. All the time go after your heart.

  2. zmozeroteriloren says

    I haven’t checked in here for some time as I thought it was getting boring, but the last few posts are good quality so I guess I will add you back to my daily bloglist. You deserve it my friend 🙂

  3. What i do not understood is in truth how you’re not really much more well-appreciated than you might be now. You’re very intelligent. You know thus significantly in the case of this topic, produced me in my opinion consider it from so many numerous angles. Its like men and women aren’t involved until it is one thing to do with Lady gaga! Your own stuffs nice. Always care for it up!

  4. I’ve been absent for some time, but now I remember why I used to love this site. Thanks, I will try and check back more often. How frequently you update your web site?

  5. The next time I read a blog, I hope that it doesnt disappoint me as much as this one. I mean, I know it was my choice to read, but I actually thought youd have something interesting to say. All I hear is a bunch of whining about something that you could fix if you werent too busy looking for attention.

  6. Magnificent web site. A lot of useful info here. I’m sending it to several buddies ans additionally sharing in delicious. And of course, thanks for your effort!

  7. Hi there, just became alert to your blog through Google, and found that it is really informative. I’m going to watch out for brussels. I will be grateful if you continue this in future. A lot of people will be benefited from your writing. Cheers!

  8. I just wanted to compose a remark so as to say thanks to you for all the great tips and tricks you are sharing here. My time intensive internet investigation has at the end been compensated with high-quality facts and techniques to write about with my family members. I would believe that most of us visitors actually are unequivocally endowed to dwell in a fabulous site with many brilliant professionals with good advice. I feel very much grateful to have used your entire site and look forward to really more awesome times reading here. Thanks once again for all the details.

Comments are closed.