Browsing Tag

From the pen of poet Dalichand Jangid Satara: I write prayer for progress

दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: स्वदेशी की पुकार

स्वदेशी की पुकार ======================= ओ परदेशी ओ परदेशी...... हमे भूल ना जाना कभी तुम भी स्वदेशी थे दूर देश जाकर हो गये परदेशी कभी हम साथ साथ गांव में खेला करते थे सुबह लड़ाई करते शाम तक दोस्ती कर लेते थे याद करो वो दिन भाई…
Read More...

दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: बैलगाड़ी री गणन्तरी…..

बैलगाड़ी री गणन्तरी..... ***************************** मारवाड़ी कवि करे बैलगाड़ी रा वखाण.... 👌 मैं दैखीया बडैरा ने बैलगाड़ी हूबो हूब बणावता कठै वे बैलगाड़ीयो ने कठै धोळा बळदों री वे जोड़ीयों इण जमाना रे माये वे सपना री बातों वेईग्ई…
Read More...

दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि की अलौकिक दुनिया

कवि की अलौकिक दुनिया .................................................. माँ शारदे की उपासना करते करते कवि पहुंचा अलौकिक दुनिया में जहा माँ का मिलता है आशिर्वाद तहा खुलते है ज्ञान के किवाड़ ना भान रहा ना ज्ञान प्रकाश शून्य सा हो गया…
Read More...

दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: रंग पंचमी ब्रज की

|| रंग पंचमी ब्रज की || .................................... मैंने देखी है ब्रज की रंग पंचमी ब्रज की रंग पंचमी है महान गोपियों संग कान्हा खेले हैं सप्त रंगों की करें है बरसात ब्रज में भाभी संग खेले हैं देवर साली संग खेले है जीजा…
Read More...

दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि की परिभाषा

|| कवि की परिभाषा || ___________ अंतरात्मा से निकली आवाज लेख, कविता बन जाती है मानो तो वह कवि है ना मानो तो भावनाओं की बहती धारा लेखक, कवि रीत है पुरानी कविता समाज का दर्पण होती है हिंदी भाषा हमारे सर की पगड़ी है अशुभ काल के शिंश…
Read More...

दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: काम अमर कर दीनो

काम अमर कर दीनो .......................................... घर घर में गूंजे नाम श्री विश्वकर्मा भगवान रो पूजा पाठ हर रोज कर करे शुरुआत आपणे काम धन्धा री गौडवाड गांव 84 पट्टी रो मंदिर जवाली मे है बड़ भारी उठे भोजनशाला बड़ भारी बणाई…
Read More...

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: अदृश्य तकदीर है मेरी

➡ तकदीर से सवाल जबाव....... ऐ तकदीर मेरी तू कहा रहती है......❓ जरा पता तो बता तेरा ललहाट मे रहती है या फिर हाथ की लकीरो में ईच्छा प्रबल है तुझे मिलने की भाव सुचिया बहुत है मन में तुझे सारी बतानी है कही कर्ज चुकाना बाकी है कही फर्ज…
Read More...

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: संगठन निर्माता बनना कितना मुश्किल काम है ? 

स्वार्थ से परमार्थ की ओर....................... स्वहित से हटकर परहित की भावना जब किसी के ह्रदय से उठकर जुबा पर आती है तब किसी ना किसी प्रकार के संगठन या फिर संस्था का जन्म होता है। वह व्यक्ति उसमे अपने को बहा ले जाता है। हर पल संगठन को…
Read More...

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: गणेश चतुर्थी की यादें

गणेश चतुर्थी की यादें ====================== जो बीत गया जमाना वो फिर लौटकर नही आता जो हर बर्ष आते नये नये लोग वो पुराने लोग नही आते जो बीत गई गणेश चतुर्थी वो फिर लौटकर नही आती जो दो पहिया वाहन रैली का आंनद वो फिर लौटकर नही आता…
Read More...

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: चालो जी चालो रामदेवरा

चालो जी चालो रामदेवरा ##################### 🏃🏾‍♂️दर्शन करवा चालो जी राम देवजी के धाम गांव रामदेवरा रा माएं जठै रुणिचा रा राज बिराजे अठै जीणी जीणी उड़े है गुलाल थाने तो धावै है आखो मारवाड़ धावै है आखो गुजरात जी धीरत चूरमा रों भोग…
Read More...