दीपक आहूजा वालों की कलम से: वास्तविकता का आभास

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वास्तविकता का आभास

सरलता से होता है, वास्तविकता का आभास,
करने वाला ईश्वर है, क्यों न करूँ फिर विश्वास।

कुम्हार का हाथ चले चाक पे, निरंतर अविरल,
कृपानिधान की कृपा है, कुम्हार दिखे सफल।

दो हाथों के कृत की माया से, संसार वशीभूत,
अपने आप में यूँ खोया है, परमेश्वर गया छूट।

जीवन की गाड़ी का चालक, अंतर्मन के है पार,
निस-दिन व्यापक रोम-रोम में, सत्य का प्यार।

प्रतीक्षा में खड़े सब मनुष्य, सभी संगी साथी,
प्रकाश भये अंधियारा कटे, ये नैन दीया बाती।

युग-युग बरसे अमीरस धारा, चख कर जानो,
प्रभु बनाएँ, मिट्टी का कुम्हार, देखो और मानो।

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