उठ उठ रे 3 चन्द्र यान प्यारे….
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उठ उठ रे बाळ गोपाळ”चन्द्रयान”प्यारे,
भाष्कर तूझे जगाने आया है !!
भोर भई लालिमा निकल आई है,
पंछीयों ने भरी उड़ान,गीत मधुर सुनाए,
दुध से भरी है कटोरी,
दुध में पड़ीया है पतासा !!
सोया सोय रोवर मंद मंद मुस्कराया है,
बाळ गोपळ हंसकर दुध पीवे करे तमाशा,
उठ बाळ सर पर सुर्य किरणों ने हाजरी लगाई है
इस्त्रो ने कान में लगाई आवाज,
कान्यो मान्यों कुर्ररररर…….
चिट्टी बाजे फुर्रररररर…………
उठ उठ रे बाळ (रोवर) भोर भई,
सौर उर्जा रोम-रोम में रमई,
नव चेतना अभी अभी आई है !!
कर नव शोध कार्य शुरु,
दुनिया वालों को दिखला दे
वैज्ञानिक प्रमाण चन्द्र धरातले के !!
कह दे दुनिया वालों को,
मैं भारत का रहने वाला हूं,
भारत के गीत चन्द्र को सुनाता हूँ !!
ईसरो श्री हरिकोटा मेरा घर है,
विशाल भारत मेरा देश है !!
मैं दुनिया का पहला प्रवासी हूं,
चन्द्र के साऊथ भू-तल पर भ्रमण को आया हूं !!
अब मैं चांद का निवासी हूं,
असल में भारत का रहवासी हूं……
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जय श्री ब्रह्म ऋषि अंगिरा जी की
लेखक/कवि: दलीचंद जांगिड सातारा महाराष्ट्र
मो: 9421215933
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