चंडीगढ़: प्रधानमंत्री नए संसद भवन में पहला काम देश की आधि आबादी को ठगने का करते हैं- राधिका खेड़ा

1992 में पूर्व प्रधानमंत्री  नरसिम्हा राव ने पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं के लिए 33% सीटों का आरक्षण लागू किया। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए। कई राज्यों में, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कोटे के भीतर महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की गईं।

Title and between image Ad
  • महिला आरक्षण लेकर आए हैं किंतु ये क्यों नहीं बताया कि आरक्षण कब लागू होगा- राधिका खेड़ा
  • इन्होंने केवल देश की महिलाओं को भ्रह्मित करने का कार्य किया- राधिका खेड़ा

चंडीगढ़: महिला आरक्षण इस देश की आधी आबादी की राजनीतिक भागीदारी और उनके सशक्तिकरण का सबसे ज़रूरी, सबसे पुरजोर, सबसे सॉलिड माध्यम है। महिला आरक्षण से ज्यादा से ज्यादा महिलाएं देश की राजनीति में आएंगी, पार्लियामेंट में आएंगी, विधान सभा में आएँगी और नीति निर्माण में उनकी भागीदारी होगी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इसका पूर्ण समर्थन करती हैं। यह कहना है कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता एवंम वरिष्ठ नेत्री राधिका खेड़ा का। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय चंडीगढ़ में उन्होंने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि महिलाओं की जो लड़ाई है, वो लंबी चली, लंबी लड़ी गई और उनको लगातार मायूसी का आज भी सामना करना पड़ा है।

1989 में पूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी जी ने पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की शुरुआत की। लेकिन इसके लिए जब बिल पेश किया गया तो बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेई, यशवंत सिंह और राम जेठमलानी ने उसके विरोध में वोट किया। वह बिल लोकसभा में पारित हो गया लेकिन राज्यसभा में केवल 7 वोटों से गिर गया।

1992 में पूर्व प्रधानमंत्री  नरसिम्हा राव ने पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं के लिए 33% सीटों का आरक्षण लागू किया। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए। कई राज्यों में, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कोटे के भीतर महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की गईं।

आज पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की दूरदृष्टि से भारत में 15 लाख महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ है। इनमें लगभग 40 % निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पेश किया जो कि राज्यसभा से पारित हुआ था‌ लेकिन लोक सभा में पास नहीं हुआ। 2016 में पूर्व कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने मांग की कि मोदी सरकार 8 मार्च 2016 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित करे।

सोनिया गांधी ने “लंबे समय से प्रतीक्षित” विधेयक को पास करने की मांग की। प्रधानमंत्री मोदी के “मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस” नारे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मैक्सिमम गवर्नेंस का मतलब महिलाओं को उनका हक़ देना है। फिर, उन्होंने 2017 में पीएम मोदी को पत्र लिखा। उन्होंने नरेंद्र मोदी से गुज़ारिश की थी कि अभी लोकसभा में भाजपा सरकार बहुमत में हैं और इस बहुमत का फ़ायदा उठाते हुए वे लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास करा सकते हैं। पत्र में उन्होंने यह भी लिखा था कि कांग्रेस पार्टी हमेशा इस कानून का समर्थन करती रही है और आगे भी करती रहेगी। यह महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जी ने 2018 में भी मांग की कि मोदी सरकार लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित करे l

राधिका खेड़ा ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के प्रधानमंत्री नए संसद भवन में पहला काम देश की आधि आबादी को ठगने का करते हैं। महिला आरक्षण बिल के नाम पर जो गंदी राजनीति केंद्र की मोदी सरकार ने देश की महिलाओं के साथ की है ये बेहद ही निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि इनकी नीयत साफ़ होती तो आने वाले 5 विधान सभा चुनाव व अगले साल होने वाले लोक सभा चुनाव में महिलाओं को आरक्षण बेहद ही आसानी से दिया जा सकता था। परंतु इन्होंने केवल देश की महिलाओं को भ्रह्मित करने का कार्य किया है। आज देश की महिलाएँ जानती हैं कि महिलाओं के नाम पर लाया गया यह आरक्षण बिल केवल एक चुनावी जुमला है।

मोदी ने ये तो बता दिया कि हम महिला आरक्षण लेकर आए हैं किंतु ये क्यों नहीं बताया कि आरक्षण ना 2024 के चुनाव में लागू होगा, ना 2029 में लागू हो सकता है और भगवान जाने 2034 तक भी हो पाएगा की नहीं। मोदी सरकार ने कहा है कि पहले जगनाना होगी फिर परिसीमन होगा, उसके बाद आरक्षण को लाया जाएगा।

सरकार ये खुद स्वीकार कर रही है कि 2029 से पहले नहीं होगा। यह स्पष्ट है कि अगले 5-7 साल अब इसपे कुछ भी नहीं हो सकता। यदि इनकी नीयत और नीति साफ़ होती तो जिस तरह से कांग्रेस पार्टी ने 1992 में पंचायती राज संस्थाओ में महिलाओं के लिए 33% सीटों का आरक्षण लागू कर दिया था जिस में कोई star mark नहीं था आगे।

अब सब star mark तो समझते होंगे, कई बार हम देखते हैं फ़लाना वस्तु पर 80% की छूट और उसके आगे एक छोटा सा star बिंदु होता है और जब आप उस वस्तु को ख़रीदने जाते हैं तब पता लगता है कि 4-5 वस्तु और लेंगे तो छूट मिलेगी, रविवार के दिन लेंगे तो छूट मिलेगी, और ऐसी अनेकों शर्तों का पता तब लगता है जब हम वस्तु लेने पहुँचते हैं। ठीक उसी तरह star बिंदु लगाने का काम मोदी जी ने किया है।

देश की महिलाओं के लिए लाए गए महिला आरक्षण बिल के साथ। हम आरक्षण देंगे कहा है लेकिन उसके ऊपर एक स्टार लेकर कहा है जो देश की महिलाओं को बताने में केंद्र की मोदी सरकार को शर्म आ रही है क्योंकि वे जानते हैं कि महिलाओं को न्याय देना BJP/RSS के एजेंडा में ही नहीं है।

इन्हें देश की महिलाओं का सिर्फ़ वोट चाहिए चाहे उसके लिए उन्हें झूठ बोला जाए, उन्हें गुमराह किया जाए या उनसे सच को छिपाया जाए। हरियाणा का ही उद्धरण देख लीजिए। यहाँ से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की मोदी जी ने शुरुआत की थी और यही की बेटियों के साथ लगातार अन्याय किया जा रहा है। चाहे मुख्यमंत्री खट्टर साहब का ये बोलना हो कि औरतों को आज़ादी चाहिए तो वे वस्तृहीन क्यों नहीं घूमती, या फिर वो मंज़र हो जब हमारी खिलाड़ी बेटियाँ उनके साथ हुई अभद्रता पर आवाज़ उठा रही थी तो एक तरफ़ जब पूरा देश नई संसद का उद्घाटन देख रहा था तो एक विंडो में बेटियों पर लाठिया बजाई जा रही थी।

आज भी जब महिला आरक्षण बिल पेश किया गया तो वही ब्रिज भूषण संसद में बैठा हुआ था, क्या ये हमारी महिलाओं के मुँह पर करारा तमाचा नहीं है? क्यों मंत्री संदीप सिंह, जिसके ऊपर यौन योषण की शिकायत है वो आज भी मंत्री बना हुआ है? कथनी और करनी, में फ़र्क़ और BJP-RSS मानसिकता में महिलाओं के सम्मान और अधिकार के लिए कोई जगह नहीं है।

 

Connect with us on social media

Comments are closed.