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poet Prakash Chand Jangid

कवि प्रकाश चन्द जांगिड़ “पिड़वा” पाली की कविता: आओ मिलकर दीप जलाए

आओ मिलकर दीप जलाए। आओ मिलकर दीप जलाए, प्रेम पूर्वक हम हाथ बढ़ाए, गाडी कमाई भेंट चढ़ाए, बेसहारों का लाडलड़ाये, माँ लक्ष्मी का करे स्वागत, गो माता की आव-भगत, खुशहाल हो जीव-जगत, इसमें कुछ न लागे लागत, खुशियों की सौगात लाए, शॉपिंग करने…
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कवि प्रकाश चन्द जांगिड़ “पिड़वा” पाली की मारवाड़ी कविता: हाचि-हाचि केऊ

हाचि-हाचि केऊ ने मौज में रेउ, छापाक ऊना-ऊना देउ, निंदा करे नाजोगा, ने के करे गाँव रा बोगा, ओपोरे तो मस्त रेणों ने नी करणी फालतू री देणों, करणीया करणी करे, वे तो उँदा-उँदा इज मरे, नेकी माते हालणियो, एडा कोम ने रोम ऊ डरे,…
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कवि प्रकाश चन्द जांगिड़ “पिड़वा” पाली की कलम से: अक्षय तृतीया के अवसर पर विशेष

अक्षय तृतीया के अवसर पर विशेष आज कोई करणों खूब दान पुण्य करणों, पुण्य रो मटकों भरणो। मानव हित रो कोम करणों, की नी वे तो मोन धरणो। आज रा अबूझ मोरत वे, उजाळा चारों खुट वे। खरीदना गाबा ने गेणा, परा उतरे मत ला लेणा। वडेरो री सेवा…
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मारवाड़ी कवि प्रकाश चन्द जांगीड़ की कलम से: ओ हियाळो ठंडो घणो।

मारवाड़ी कविता  ओ हियाळो ठंडो घणो। अबकी छाती भरगी, ओ काई कोम करगी, छिकों ऊपर छिकों, थे आजकल नी दिको, धासी ऊपर धासी, कद उनो-उनो आसी, हपीड हियाळो ने होगरा, ठोके देको डोकरा, बारे जावो तो डर आवे, लोग हीदो करोना वतावे ओ…
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