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Poet Ashok Sharma

कवि अशोक शर्मा की कलम से: नयन या नेत्रहीन

नयन या नेत्रहीन समझ जाता हूँ स्वभावो को मैं, अभावो के संघर्षों को स्पर्शो को भाषा को , निष्छल हँसी और विश्वासो को सब कुछ सीखा देती हैं वो आशाओ के आँखे मुझको हाँ तू देख मुझे और मेरे चलते डरते कदमो को क्या विषय ,क्या विश्वास, अपने जीवन…
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कवि अशोक शर्मा की कलम से: मेहनत रो पाणी

मेहनत रो पाणी रात बीजळ कड़की ही ,हिंय में सांसा अटकी ही पाळ बांधण वाला रे ,आज हिवड़े में बात लटकी ही घणे हैत सूं घणे कोड सु, हळ ने जद मैं जोतयो हो फसल कोणी हिंय री कोर समझी,पाणी कम पसीणे सूं सींची ही रात बिजळ... रात देखी ना दिन…
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अशोक शर्मा की कलम से: दीप महोत्सव-भारत महोत्सव

दीप महोत्सव-भारत महोत्सव (अशोक शर्मा) जगमगा हो रहादेश सारा, अवध सा पावन प्यारा । पूरा हो संकल्प अपना, अखण्ड भारत का जो सपना ।। दीपोत्सव भव्य ऐसा हो, सुख समृद्धि हर द्वार हो। धन वैभव की कमी न हो, यश संपदा सब में हो। स्वस्थ जीवन सबका…
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