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ghazal written in 1992

नरेंद्र शर्मा परवाना की कलम से: 1992 में लिखी गई गज़ल “आसान पर, आसान नहीं “

आसान पर, आसान नहीं लगती है आसान बहुत पर, बात यह आसान नहीं। होकर भी इंसान देख लो, बन पाए इंसान नहीं। गलियारों में खून बहाएं, अमन ओ चैन की चाहत में। कांटे बो के फूल को चाहें, होते भी हैरान नहीं। लगती है आसान बहुत पर,…
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