सोनीपत: वर्तमान समय में बहुविषयक ज्ञान अत्यंत आवश्यक : कुलपति प्रो.सिंह

कुलपति प्रो.श्रीप्रकाश सिंह ने कहा कि वर्तमान समय वैश्विक प्रतिस्पर्धा का समय है। विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों को भविष्य की वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर रहा है। शैक्षणिक गुणवत्ता अहम रोल अदा करेगी।

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  • आईआईटी व आईआईएम के प्रोफेसरों से पढ सकेंगे डीसीआरयूएसटी के विद्यार्थी इलेक्टिव सब्जेक्ट
  • ओपन इलेक्टिव सब्जेक्ट के कारण अब केमिस्ट्री के विद्यार्थी भी सीख सकेंगे कंप्यूटर की भाषा पाइथन

सोनीपत (अजीत कुमार): दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,मुरथल के विद्यार्थी अब आईआईटी व आईआईएम के प्रोफेसरों से ओपन इलेक्टिव सब्जेक्ट और डिपार्टमेंटल इलेक्टिव  पढ़ सकेगें। ओपन इलेक्टिव सब्जेक्ट में अब केमिस्ट्री के विद्यार्थी कंप्यूटर की पाइथन लैंग्वेज भी सीखेंगे। ओपन इलेक्टिव सब्जेक्ट से विद्यार्थियों का प्रोफाइल ज्यादा मजबूत होगा।

कुलपति प्रो.श्रीप्रकाश सिंह ने कहा कि वर्तमान समय वैश्विक प्रतिस्पर्धा का समय है। विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों को भविष्य की वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर रहा है। शैक्षणिक गुणवत्ता अहम रोल अदा करेगी। वर्तमान समय में वहीं युवा कामयाब हैं जिसको अंतर्विषयक ज्ञान अच्छा हो। विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए ही स्लॉट बेस्ड टाइम टेबल लागू कर दिया है। स्लॉट बेस्ड टाइम टेबल लागू होने से विद्यार्थियों के पास ओपन इलेक्टिव सब्जेक्ट के तहत विद्यार्थी ज्यादा से ज्यादा विषय का अध्ययन करने के अवसर मिलेगें। विद्यार्थियों का ज्ञान विस्तृत होगा,जिसके कारण विद्यार्थियों को प्लेसमेंट का पैकेज भी अच्छा मिलेगा। विश्वविद्यालय ने नवाचार, अनुसंधान व शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कार्य प्रारंभ कर दिया है। नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, दिल्ली की शैक्षणिक अधिष्ठाता प्रो. सुजाता सेंगर व डा.अभिषेक तेवतिया के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय ने स्लॉट बेस्ड टाइम टेबल लागू कर दिया है।

किसी इलेक्ट्रॉनिक्स के छात्र की रूचि भौतिक विज्ञान में है तो वह डिपार्टमेंट ऑफ साइंस के द्वारा ऑफर इलेक्टिव सब्जेक्ट पढ़ सकता है। अब विश्वविद्यालय के विद्यार्थी एनपीईटीएल से ओपन इलेक्टिव सब्जेक्ट आईआईटी व आईआईएम के प्रोफेसर द्वारा बनाए गए  एनपीटीईएल के कोर्स पढ़ सकते हैं। इससे विद्यार्थियों का बायोडाटा मजबूत होगा, क्योंकि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के पास अंतर्विषयक ज्ञान बेहतर होगा।

 

 

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