सोनीपत: बढई कारीगरों को एनजीटी और वन विभाग के नियमों से मुक्त किया जाए:राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा

नजीटी के नियमों की आड़ में अफसरशाही ने इस कारीगर समाज के कामों पर अनावश्यक नियम थोप दिए हैं। इससे इनका काम करना दूभर हो गया है। काम करने में प्रयोग में आने वाली आरा मशीनों का वन विभाग से लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया गया है।

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सोनीपत: भाजपा सरकार में हरियाणा से राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने संसद में कहा की देश का बढ़ई समाज आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के संकल्प को पूरा करता है। साथ ही साथ छोटे ग्रामीणों को रोजगार देता है। विश्वकर्म योजना के माध्यम से इस वर्ग के कल्याण के लिए बहुत बड़ा कदम सरकार के द्वारा उठाया गया है। मैं उनकी मूलभूत आवश्यकताओं के विषय पर सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। एनजीटी के नियमों की आड़ में अफसरशाही ने इस कारीगर समाज के कामों पर अनावश्यक नियम थोप दिए हैं। इससे इनका काम करना दूभर हो गया है। काम करने में प्रयोग में आने वाली आरा मशीनों का वन विभाग से लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया गया है। जबकि यह जंगल से कोई लकड़ी नहीं काटते, यह तो वन विभाग के द्वारा कटी हुई लड़कियों के लट्ठे लेकर उन्ही से दरवाजे फर्नीचर खिड़कियां आदि बनाने का काम करते हैं। यह जंगल से लकड़ी नहीं काटते हैं। लेकिन इनकी आरा मशीनों को सील कर दिया जाता है। यह चाहकर भी कोई काम नहीं कर पा रहे हैं।

मेरा सरकार से आग्रह है 10 से 15 किलो वाट तक का छोटा बिजली का कनेक्शन लेने वाले और तैयार लकड़ी से सामान बनाने वाले बढई समाज के कारीगरों को एनजीटी और वन विभाग के नियमों से मुक्त किया जाए। इन्हें लाइसेंसी प्रथा से मुक्त किया जाए। इससे यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर सकेंगे।

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