सतकुंभा पूर्णमासी स्नान: तीर्थ सत कुंभा धाम की प्राचीनता भव्यता और धार्मिकता बरकरार: श्रीमहंत राजेश स्वरुप

पीठाधीश्वर राजेश स्वरुप महाराज ने कहा कि यहां पर राजा मानधाता के पास त्रेता युग में रावण कर देने आते थे। जो राम जी की 360 पीढ़ियां हुई, द्वापर युग लगा साढ़े आठ लाख वर्ष के बाद कलयुग के 5300 वर्ष हो चुके हैं। इतने वर्षों से सिद्धपीठ तीर्थ सत कुंभा धाम की प्राचीनता भव्यता और धार्मिकता वह हमेशा से बरकरार रही है। इसकी आयु की गणना करना हमारे लिए असंभव है।

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  • सतकुंभा तीर्थ ऐसा जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया: वीरेंद्र कादियान

गन्नौर: जेष्ठ माह की पूर्णिमा पर सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर भारी मेला लगा हजारों श्रद्धालुओं ने स्नान किया अनंत भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। देश के 68 तीर्थ में शामिल सतकुंभा तीर्थ पौराणिक व ऐतिहासिक है। यहां देश के कौने कौने से श्रद्धालु आते हैं मन्नत मांगते हैं इनकी मन्नतें पूरी होती हैं। मन्नत ग्रूप ऑफ होटल्स के एमडी वीरेंद्र कादियान ने तीर्थ पर माथ टेका और कहा कि ऐसा लगा रहा है जैसे सतकुंभा पर स्वर्ग उतर आया है। उन्होंने महाराज श्रीमहंत राजेश स्वरुप महाराज का आशीर्वाद लिया। (मेले से जुड़े ज्यादा फोटो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें ) सतकुंभा पूर्णमासी स्नान: 14 फोटो में देखें सतकुंभा धाम पर लगा पूर्णमासी स्नान और मेला

पीठाधीश्वर राजेश स्वरुप महाराज ने कहा कि यहां पर राजा मानधाता के पास त्रेता युग में रावण कर देने आते थे। जो राम जी की 360 पीढ़ियां हुई, द्वापर युग लगा साढ़े आठ लाख वर्ष के बाद कलयुग के 5300 वर्ष हो चुके हैं। इतने वर्षों से सिद्धपीठ तीर्थ सत कुंभा धाम की प्राचीनता भव्यता और धार्मिकता वह हमेशा से बरकरार रही है। इसकी आयु की गणना करना हमारे लिए असंभव है।

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जेष्ठ माह की पूर्णमासी पर सिद्ध पीठ तीर्थ सतकुंभा धाम के पीठाधीश्वर श्री महंत राजेश स्वरुप जी महाराज वीरेंद्र कादियान का पगड़ी पहनाकर सम्मानित करते हुए।

रही बात जेष्ठ माह की पूर्णिमा के स्नान की तो 6 माह देवताओं के होते हैं और छह माह रात होती है। उत्तरायण वैशाख शुक्ल से प्रारंभ हुआ है और चारों धामों के द्वार भी वैशाख में खुले हैं कार्तिक की जो दीपावली है पूर्णमासी तक जो भी धार्मिक स्थल हैं उन पर मेलों का भव्य आयोजन होता है। रविवार को पूर्णमासी पर सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालुओं का यहां पर आना शुरू हो गया था। भारी मेले का आयोजन आपके सिद्ध पीठ तीर्थ सत कुंभा धाम पर हुआ है श्रद्धालुओं की अपनी श्रद्धा है कि वह सप्त ऋषि यों के तीर्थ स्थल को नमन करते हैं।

सिद्ध पीठ तीर्थ सत कुंभा धाम के श्री महंत राजेश स्वरूप जी महाराज ने कहा कि सरस्वती, श्रुति, महती महीता हम जब विद्यालय में आते हैं तो मां सरस्वती की पूजा करते हैं तो जो सरस्वती माता है विद्या के रूप में जो हमें ज्ञान देती है मां सरस्वती हमेशा सुनने से पढ़ने से समझने से उसकी जो प्रतिष्ठा है हमेशा बढ़ती है। सम्मान समारोह सतकुम्भा 12वीं में प्रथम स्थान शालू द्वितीय स्थान हर्ष तृतीय स्थान पर काजल रही। 10वीं क्लास में प्रथम स्थान निशा द्वितीय स्थान खुशी तृतीय स्थान अतुल 12वीं की मेरिट में 25 और 10वीं में मेरिट के 35 विधार्थियों को सम्मानित किया।

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जेष्ठ माह की पूर्णमासी पर सिद्ध पीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर भरे मेले की व्यवस्था को देखते स्वामी सत्यवान महाराज।
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जेष्ठ माह की पूर्णमासी पर सिद्ध पीठ तीर्थ सतकुंभा धाम के पीठाधीश्वर श्री महंत राजेश स्वरुप जी महाराज सतकुंभा विद्या मंदिर के 10 वीं और 12वीं के बच्चों को सम्मानित करते हुए।
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जेष्ठ माह की पूर्णमासी पर सिद्ध पीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर स्नान करते श्रद्धालु।
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जेष्ठ माह की पूर्णमासी पर सिद्ध पीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर भरा मेला।
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जेष्ठ माह की पूर्णमासी पर सिद्ध पीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर हवन करते श्रद्धालु।

लगभग 12 हजार श्रद्धालुओं के भंडारे की सेवा सोमपाल कलस्यंन पुत्र मेहर सिंह खेड़ी गुज्जर ने की, राव ईश्वर सिंह, महिपाल पहल, पावेल राठी, राजपाल, विरेंद्र पहल, अनिल, तेजप्रकाश यादव, तीर्थ सतकुंभा व्यवस्था प्रबंधक सूरज शास्त्री छौक्कर जनेश्वर, ब्रह्मपाल, पंडित बिल्ला, पवन शर्मा शास्त्री, स्वामी सत्यवान महाराज, कृष्ण चंद्र शर्मा, जगदीश छौक्कर, रेवत फौजी रविन्द्र छोक्कर,काला ठेकेदार, काला ठेकेदार छोक्कर ,संजय शर्मा ख़ूबड़ू, तेज प्रकाश यादव, संदीप अहीरमजरा, श्रीनाथ टेंट हाउस खेड़ी गुज्जर सेवा में शामिल रहे।

 

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5 Comments
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