कबड्‌डी के शहंशाह ध्यानचंद अवार्डी मनप्रीत सिंह सिखा रहे हैं खेल के हुनर

कबड्‌डी के शहंशाह ध्यानचंद अवार्ड से सम्मानित विनम्रता स्वभाव के धनी मनप्रीत सिंह भारत के दूसरे ध्यानचंद अवार्ड लेने वाले कबड्‌डी के खिलाड़ी है 23 साल से कबड्‌डी खेल रहे हैं, राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खेल प्रतिभा से ऊंचा मुकाम पाया।

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भारत के चमकते सितारे (एपीसोड-2)

 

मेरा इश्क और मेरी मोहब्बत वह कबड्डी है यकीन मानिए मुझे नींद नहीं आती जब तक मैं कबड्डी नहीं खेलता

 

कबड्‌डी के शहंशाह ध्यानचंद अवार्ड से सम्मानित विनम्रता स्वभाव के धनी मनप्रीत सिंह भारत के दूसरे ध्यानचंद अवार्ड लेने वाले कबड्‌डी के खिलाड़ी है 23 साल से कबड्‌डी खेल रहे हैं, राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खेल प्रतिभा से ऊंचा मुकाम पाया। अब खिलाडियों को खेल के हुनर सिखाते हैं। इनके आदर्श कबड्‌डी के कोहेनूर कहे जाने नीर गुलिया हैं।

 

ज्ञान ज्योति दर्पण ने अपने पाठकों और दर्शकों के लिए एक्सक्लूसिव साक्षात्कार किया है वो जानकारियां आपतक तक पहुंचा रहे जो अभी तक मनप्रीत सिंह के बारे में कहीं पर ना तो पढी और ना ही सुनी हैं। पहले संक्षिप्त में परिचय जानिए खुद मनप्रीत से उन्ही के शब्दों में जैसा कि आप जानते हैं कि मैं एक कबड्डी खिलाड़ी हूं। देश के लिए कबड्डी खेला, हमारे देश की मिट्टी से जुड़ा हुआ खेल है कबड्डी। यह गेम है लंबा समय खेला हूं लगभग 23 साल मैंने कबड्डी खेली है। जिसमें 15 साल तो मैंने पंजाब से खेला है और पंजाब की कप्तानी की है। इसके बाद 10 साल देश के लिए इंटरनेशनल गेम खेला हूं। कबड्डी में आज का समय खिलाड़ियों के लिए बहुत बेहतर है। इसमें नेम एंड फेम व पैसा है।

 

 

सवाल:- नीर गुलिया के साथ में आपका संपर्क कैसे हुआ इसके बारे में हमें बताएं?

जवाब:- नीर गुलिया जी एक बेहतर इंसान हैं जो कि कबड्डी फील्ड के अंदर ऐसे व्यक्तित्व मिलने बहुत मुश्किल हैं। मैं अपने आप को बहुत खुशनसीब मानता हूं जो मैंने पिछले 23 साल कबड्डी खेली है, तब से मैं नीर गुलिया के साथ हूं और मैं नीर गुलिया को अपना बड़ा भाई मानता हूं। मैंने उन्हें अपने पिता के समान इज्जत दी है। हमेशा दोनों एक साथ रहे हैं। 20 साल हो गए हैं और हर मुश्किल के दौर में चाहे वह कैसी भी घढ़ी रही है। उन्होंने मेरा साथ नहीं छोड़ा, उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया है। चाहे वह खुशी हो चाहे गम का समय, हर मौके उन्होंने मेरा साथ दिया है। मैं आपके दर्शकों और पाठकों को यह बता देना चाहता हूं की यह जो मुझे ध्यान चंद अवॉर्ड मिला है, यह मैं नहीं मानता कि मुझे मिला है।

 

मैं नीर गुलिया जी का कर्ज पूरी उम्र कभी नहीं उतार पाऊंगा

मैं मानता हूं कि यह अवार्ड कबड्डी का सबका सांझा अवार्ड है। इस अवार्ड के लिए भाई नीर गुलिया ने ही फाइल लगाई। मुझे तो बाद में पता लगा कि मैं ध्यान चंद अवॉर्ड के लिए सिलेक्ट हो गया हूं। क्योंकि मुझे पता ही नहीं लगा कि लॉकडाउन के दौरान इन्होंने कब मेरी फाइल लगा दी। इसके लिए मैं नीर गुलिया जी का कर्ज पूरी उम्र कभी नहीं उतार पाऊंगा। इन्होंने मेरे लिए किया है वह वाकई सराहनीय है। मैं नीर गुलिया जी को धन्यवाद देता हूं।

 

उनकी प्रतिभाओं को ओलंपिक के लिए निखार सकें  

मैं आपको एक बात और बता देना चाहता हूं कि जो नीर गुलिया ने यह एकेडमी खोल रखी है। जिसका नाम है नीर गुलिया कबड्डी एकेडमी यह मान लीजिए कि यह एक किस्म से फ्री सेवा है। हम दोनों और हमारे जो दोस्त हैं, अपनी सैलरी से पैसे इकट्ठा करके इस एकेडमी को चलाते हैं। यह बहुत ही नेक दिल और सच्चे इंसान हैं। हमारा सिर्फ एक ही सपना है कि हमारे देश के युवा ज्यादा से ज्यादा देश के लिए खेलें और देश का नाम रोशन करें। नीर गुलिया एकेडमी से वह बच्चे निकलें जो प्रतिभावान हों देश के लिए खेलने का माद्दा रखते हों ताकि हम उनकी प्रतिभाओं को और निखार सकें वह ओलंपिक के लिए खेलें देश के लिए खेलें और हमारा तिरंगा विदेश की धरती इन खिलाडियों के हाथ में फहराता नजर आए।

सवाल:- मनप्रीत जी आप हमें अपनी कबड्डी के कुछ संस्मरण सुनाएं कैसा सफर रहा आपका कबड्डी का?

जवाब:- मुझे बचपन से ही कबड्डी खेलने का शौक था। जब शुरू में हमने कबड्डी खेलना शुरू किया तो पहले परिवार भी साथ नहीं देता था। क्योंकि कबड्डी पहले इतना पॉपुलर गेम नहीं हुआ करता था। लोगों में इतना क्रेज भी नहीं था। कबड्डी के प्रति मैं जहां से ताल्लुक रखता हूं वहां पर वैसे ही कबड्डी बहुत कम खेली जाती है। नेशनल स्टाइल कबड्डी में आना एक अलग ही अनुभव है। क्योंकि पंजाब में सर्कल कबड्डी ज्यादा खेलते हैं। मैं स्कूल टाइम से लेकर और इंटरनेशनल लेवल तक मुझे सिखाया और जिनहोंने सिखाया उसको मैंने अप्लाई किया। इसमें मैं अपने सभी कोच का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। जिनकी वजह से आज मैं कबड्डी में एक नया मुकाम पा सका हूं।

 

नीर गुलिया जी भी मेरे सीनियर कोच हैं।

जहां तक इंटरनेशनल कबड्डी की बात है तो मैंने गांधीनगर से इसकी शुरुआत की थी और वहां पर भी जो मुझे साथ मिला है नीर गुलिया जी का और अभी 2020 चल रहा है और मुझे आज भी इनका सांनिध्य प्राप्त हो रहा है। आपको बता दें कि हम दोनों ही ओएनजीसी में क्लाश वन ऑफिसर के पद पर तैनात हैं। हम दोनों ओएनजीसी के लिए बहुत लंबे समय तक खेलें हैं। एक बार मैंने ओएनजीसी से इस्तीफा देकर 2001 में सीआरपीएफ मैं भर्ती हुआ वहां 4 साल उसके लिए कबड्डी खेली और उसके बाद में दोबारा से मैंने ओएनजीसी में क्लाश वन ऑफिसर के तौर पर आ गया। अब उसके लिए खेलते हैं। बड़ा सुकून मिलता है, मुझे कबड्डी खेल कर और वर्तमान में प्रो कबड्डी लीग में गुजरात फॉर्चून जायंट्स का कोच हूं और नीर गुलिया जी भी मेरे सीनियर कोच हैं। हम दोनों ही गुजरात फॉर्चून जायंट्स के लिए कोचिंग देते हैं। अब हमारी कोशिश यह है कि जितना अच्छा हम कबड्डी खेले हैं उससे कहीं बेहतर हम बच्चों को सिखा पाएं। जो सुख सुविधाएं आज वर्तमान में खिलाड़ियों को मिल रही हैं। वह हमारे समय पर नहीं होती थी और मैं बच्चों को बस यही गाइड करता हूं।

 

हमारे पास आएं हम सिखाएंगे कबड्‌डी के हुनर

आप नेशनल स्टाइल कबड्डी में आएं, अपने देश के लिए खेलें, अपने गांव, अपने स्टेट के लिए खेलें और सभी का नाम रोशन करें। जहां पूरा वर्ल्ड कबड्डी खेल रहा है। मुझे बहुत खुशी होगी कि मेरे सिखाएं हुए बच्चे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलें देश का नाम रोशन करें। हमारे तिरंगे को आसमान की ऊंचाई मिले। खिलाड़ियों को ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है। आपके पास में यूट्यूब है, आप उसका यूज़ करें, बहुत सारी वीडियो, आपको नेशनल स्टाइल कबड्डी की मिल जाएंगी, बहुत अच्छे-अच्छे कोच हैं। बहुत अच्छे-अच्छे इंसान हैं। आज कबड्डी सिखा रहे हैं। उन सभी का सांनिध्य प्राप्त करें। उनके पास जाएं, कबड्डी सीखें, हमने एकेडमी स्टार्ट कर रखी है। आप हमारे पास में आएं हम कोशिश करेंगे कि आपको बहुत बेहतर तरीके से कबड्डी सिखा पाएं।

सवाल:- हम जानना चाहते हैं उस मिट्टी की खुशबू को जहां से आप जैसा रोशन सितारा जन्मा, उस माता का नाम जिसने आप जैसे रोशन सितारे को जन्म दिया, उस पिता का नाम आप जैसे ओजस्वी स्वरुप को तैयार किया और वह आपका परिवार जो आपका साथ देने के लिए आपकी पीठ के पीछे खड़ा रहा तो हम चाहते हैं कि आप हमारे दर्शकों को, पाठकों को बताएं?

जवाब:- मैं पंजाब से हूं, मेरा गांव अंबाला से थोड़ा सा ही दूर है, मेरे गांव का नाम है मीरपुर, यह लालड़ू के पास में छोटा सा गांव है। कोई ज्यादा बड़ा गांव नहीं है, मेरे पिता सरदार पाखर सिंह जी, दादा करनैल सिंह जी और मेरी माता दरबार कौर जी इनके परिवार में मेरा जन्म हुआ। प्रारंभिक दौर में परिवार का ज्यादा साथ नहीं मिलता था। बच्चों को तो बचपन में सभी डांट लगाते हैं। मैंने डांट ज्यादा खाई है, क्योंकि मेरी जॉइंट फैमिली है, काफी बड़ा परिवार है। मेरे चाचा, ताऊ सब इकट्ठे रहते हैं। इसलिए परिवार का शुरुआत में साथ नहीं मिला। लेकिन जैसे-जैसे मैं आगे बढ़ता रहा तो मुझे परिवार का साथ मिलना शुरू हुआ।

 

हर खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ा स्पोर्ट परिवार की होती है

मेरा इश्क और मेरी मोहब्बत कबड्डी है यकीन मानिए मुझे नींद नहीं आती जब तक मैं कबड्डी नहीं खिलता तो धीरे-धीरे कबड्डी खेलता गया। बाहर के लोगों ने मेरे परिवार को बताया कि आपका लड़का तो बहुत अच्छी कबड्डी खेलता है। आप इस पर थोड़ा सा ध्यान दें, उसके बाद सिलसिला शुरू हुआ परिवार के साथ उसके बाद में अच्छे-अच्छे कोच के पास में गया। मुझे आगे लेकर गए जैसे पटियाला में सरदार शेर सिंह उनकी बहुत अच्छी टीम थी। वहां मुझे थोड़ा साथ परिवार का मिलने लगा था। आज भी वह साथ बरकरार है। अगर उस समय मेरे परिवार का साथ मुझे नहीं मिलता तो आज मनप्रीत सिंह इस मुकाम पर नहीं होता। हर खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ा स्पोर्ट परिवार की होती है, जो मदद सही मायने में होती है, वह तो परिवार की ही होती है। मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मेरे परिवार ने मुझे बहुत स्पोर्ट किया।

सवाल:- मनप्रीत जी अच्छी-अच्छी बातें तो सब बताते हैं लेकिन कोई ऐसी घटना बताओ जो आपके जीवन में घटित हुई हो किसी यार दोस्त ने, इष्ट मित्र साथी ने आपके साथ, जोर आजमाइश की हो, मारपीट हुई हो ऐसा कोई वाक्य हमें बताएं, जिसमें आपके दोस्तों ने कभी आपका सिर वगैरह फोड़ा हो या आपने उनका फोड़ा हो कुछ ऐसा दिलचस्प वाकया हमारे दर्शकों को बताएं?

जवाब:- आप तो जानते ही हैं कि बचपन में तो सब लड़ते झगड़ते ही हैं और बचपन सभी का ऐसा ही गुजरता है। गांव के अंदर जब छोटे थे, सभी इकट्ठे खेलते थे। छोटे-मोटे दूसरे गेम में भी होते थे और कबड्डी भी खेलते थे। किसी ना किसी बात पर झगड़ा तो हो ही जाता था। ज्यादा हमारा झगड़ा बचपन में लीडरशिप के लिए होता था कि मैं लीडर बनूंगा। गांव में बहुत अच्छे-अच्छे दोस्त हैं, मेरे चाचा जी लगते हैं पड़ोस से हैं राकेश चाचा कहता हूं उनको आजकल पुलिस में हैं। वो कबड्डी सिखाते थे, जब वो ग्राउंड में नहीं होते थे तो मैं लीडर बन जाता था। कुछ सीनियर खिलाड़ी होते थे जो कहना नहीं मानते थे तो फिर झगड़ा हो जाता था। वो लड़के इकट्ठे हो कर के पीट भी देते थे। बचपन की यादें बचपन तो ऐसा ही होता है कि हम सब भूल जाते साथ में खेलना शुरू कर देते हैं।

सवाल:- कभी ऐसा हुआ कि किसी ने आपको बचपन में पीटा हो और अब जाकर उसके साथ में आपकी मुलाकात हुई हो तो उसमें कुछ आपकी यादें ताजा भी हुई है?

 

जवाब:- (मुस्कुराते हुए) बचपन में एक बार स्कूल में खेलते थे कबड्डी तो हमारे मास्टर जी हमें पीटते थे, एक दिन ज्यादा ही पीट दिया, मास्टर जी बड़ उनको उल्टा जवाब भी नहीं दे सकते थे लेकिन हमने बदला लेने के लिए मास्टर जी के स्कूटर को पंचर कर दिया। अब मास्टर जी हमारे से बहुत परेशान होते थे क्योंकि वहां से पंचर की दुकान काफी दूर थी। मास्टर जी को छुट्टी के बाद वह स्कूटर वहां तक खींच कर ले कर जाना पड़ता था। एक दिन किसी ने बताया कि मास्टर जी तूसी बच्चों को परेशान करोगे, मारोगे पिटोगे तो आप ऐसे ही परेशान रहोगे। उस दिन के बाद हमारे मास्टर जी ने हमें कभी मारा पीटा नहीं तो यह कुछ यादें जो आज ताजा हो गई।

सवाल:- हम आपसे जानना चाहेंगे मनप्रीत कि जो आने वाली युवा पीढ़ी है उसके लिए आप क्या संदेश देना चाहते हैं?

जवाब:- कबड्डी का बच्चों में ऐसा क्रेज हो गया कि सब कबड्डी खेलना चाहते हैं। सभी बच्चों को में छोटी-छोटी बातें बताना चाहता हूं कि हमारी कबड्डी में डबल डी आता है। डबल डी में से एक भी हम ले लें तो हम कभी फेल नहीं हो सकते डी से डिसिप्लिन (अनुशासन) होता है डी से डेडीकेशन(समर्पण) होता है डी से डाइट (पौष्टिक भोजन) आता है। इसके अलावा बहुत सारी चीजें आती हैं तो उन्हें हमें अपनाना है। अपने पथ की ओर आगे बढ़ते रहना है।

अपने घर पर बना हुआ खाना खाएं

मैंने देखा है कि छोटे-छोटे बच्चे घर पर जाकर जिद करते हैं कि हमें प्रोटीन लाकर दो। हमें सप्लीमेंट्स दो। जब तक आप एक अच्छे लेवल पर ना चले जाएं नेशनल लेवल तक ना चले जाएं, तब तक इन सप्लीमेंट के लिए घरवालों के ऊपर जोर जबरदस्ती ना करें। अपने घर पर ही अपने घर पर बना हुआ खाना खाएं, दूध लें, आप खुद का और अपने परिवार का पैसा इन चीजों पर व्यर्थ ना करें। क्योंकि परिवार बड़ी हिम्मत करके पैसा जुटा आता है। हम यह सब्जी चीजों की जिद करते हैं। ऐसा ना करें। इन चीजों की जरूरत होती है। जब आप नेशनल इंटरनेशनल लेवल पर ज्यादा परफॉर्मेंस कर रहे हैं। अपने आपको परफॉर्मेंस में लाने के लिए, आप इन सप्लीमेंट का प्रोटीन का यूज करते हैं। यह चीजें छोटे लेवल के लिए नहीं होती। हमारा पाचन तंत्र बचपन में बहुत अच्छा होता है। आप जो खाएंगे, वह डाइजेस्ट हो जाता है। कोई स्पेशल डाइट नहीं होती कबड्डी प्लेयर की। जो मिल जाए, उसको खा लो।

 

आपकी ट्रेनिंग है, उसे कभी मत छोड़ना  

जो आपकी ट्रेनिंग है, उसे कभी नहीं छोड़ना चाहिए। चाहे वह सुबह की हो, चाहे वह शाम की हो, अच्छे कोच के पास जाकर अच्छी शिक्षा लें। सभी गुरुजनों का आदर सत्कार करें, चाहे वह आपके माता-पिता हैं, बहन भाई हैं, चाहे वह आपके गुरु हैं, सबको मान सम्मान दें। वह बात सिस्टम की है तो सिस्टम बहुत ही ध्यानपूर्वक अपनी कबड्डी लाइन को धीरे-धीरे आगे बढ़ाएं, जैसे-जैसे आपको अनुभवी लोग मिलते हैं। उनसे आपको जिंदगी में सीखना चाहिए। दर्शकों और पाठकों आज मनप्रीत सिंह ने जो अपना अनुभव आपके साथ सांझा किया है इससे जो युवा कबड्डी खिलाड़ी है या किसी भी खेल के क्षेत्र के हैं वह इन से प्रेरणा ले सकते हैं।

 

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