ग्राउंड रिपोर्ट: हरियाणा उत्तर प्रदेश सीमा के गांव पीरगढी को चाहिए समाधान
गांव पीर गढी निवासी ऋषिपाल की पत्नी नीता ने बताया कि उनकी पुत्रवधु उषा के नाम उन्हें फ्री सलेंडर मिला है। उन्हें राशन फ्री मिलता है। ऐसी सरकार जों गरीबों का ख्याल रखे आनी ही चाहिए।
- फ्री राशन और उज्जवला योजना के सलेंडर मिलने से खुश हैं कि सरकार उनका ख्याल रखती है
- तालाब के लिए पंचायती जमीन नहीं
सोनीपत, (अजीत कुमार): हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित ग्राम पंचायत पीर गढी है। यहां लगभग 400 परिवार हैं, इनके 950 वोट हैं। इस गांव में जमीनी हकीकत यह है कि यहां समस्याओं से घिरा गांव पानी की निकासी नहीं है। पंचायती जमीन नहीं होने के कारण तालाब का पानी मलकियत की भूमि पर जाता है। बरसाती पानी घरों में घुस जाता है।
गरीबों का ख्याल रखने वाली सरकार ही आनी चाहिए
गांव पीर गढी निवासी ऋषिपाल की पत्नी नीता ने बताया कि उनकी पुत्रवधु उषा के नाम उन्हें फ्री सलेंडर मिला है। उन्हें राशन फ्री मिलता है। ऐसी सरकार जों गरीबों का ख्याल रखे आनी ही चाहिए। फ्री राशन और उज्जवला योजना का लाभ उनके लिए संजीवनी का काम करता है। पहले तो सलेंडर फ्री मिला लेकिन दोबारा भरवाया तो पूरे पैसे देने पड़े लेकिन सबसिडी उनके खाते में आ गई।
सबसे कड़ी समस्या पानी की निकासी की है
गांव की सबसे बड़ी समस्या पानी की निकासी नहीं है, गलियां कच्ची हैं, सरकारी स्कूल में पढाई भी अच्छी हो रही है लेकिन पांचवी के बाद बच्चों को बेगा में पढने के लिए जाना पड़ता है। यहां इंटरनेट के लिए आसपास में किसी कंपनी का टावर नहीं है। इसलिए यहां कभी हरियाणा का तो कभी उत्तर प्रदेश टावर कनेक्शन पकड़ता है।
स्कूल में चौकीदार, सफाई कर्मी नहीं
राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल पीरगढी की हेड टीचर कमलेश ने बताया कि उनके स्कूल में 170 बच्चे हैं। बच्चों के अभिभावक थोड़ा सहयोग करें। समय पर बच्चों को स्कूल भेजें, जो होमवर्क दिया माता पिता उसे करवाएं। अभिभाव मीटिंग में जरुर आया करें। स्कूल में यहां चौकीदार, सफाई कर्मी नहीं है। स्टाफ और हमारे साथ में विधार्थी मिलकर परिसर को साफ रखते हैं। यहां नेटवर्क की समस्या होने के कारण अध्यापक चाह कर भी बच्चों को ऑन लाइन वर्क नहीं करा पाते।
यहां कभी यूपी कभी हरियाणा का नेटवर्क पकड़ता है
पूर्व ओमपप्रकाश कश्यप का कहना है कि उनके स्कूल में स्टाफ तो बहुत अच्छा है लेकिन उनको जरुरत के अनुसार सुविधाएं तो सरकार को दिलवानी चाहिए। अपने फोन के डाटा से टीचर काम करवाते है लेकिन वह भी संतोषजनक नहीं हो पाता है। यहां वाईफाई की समस्या तो पूरे गांव की ही है।