दिल्ली: प्रेस को बाधित करने का कोई भी प्रयास अस्वीकार्य – आईएपीएम

ईएपीएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन सहयोगी ने बताया कि एसोसिएशन पत्रकारों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए निरंतर कार्य कर रही है। प्रेस को अपरोक्ष रूप से बाधित करने व पत्रकारों को प्रताड़ित करने के प्रयास निंदनीय हैं।

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दिल्ली: पत्रकारों के राष्ट्रीय संगठन इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रेस-एन-मीडियामैन (आईएपीएम) ने प्रेस को बाधित करने के किसी भी प्रयास को अस्वीकार्य बताया है। संगठन ने पत्र लिखकर पिछले दिनों पत्रकारों पर हुई कार्यवाही में भी निष्पक्ष जांच की मांग की है और कहा है कि स्वस्थ लोकतंत्र हेतु प्रेस का स्वतंत्र रहना अति आवश्यक है।

आईएपीएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन सहयोगी ने बताया कि एसोसिएशन पत्रकारों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए निरंतर कार्य कर रही है। प्रेस को अपरोक्ष रूप से बाधित करने व पत्रकारों को प्रताड़ित करने के प्रयास निंदनीय हैं। पत्रकार शासन-प्रशासन और जनता के बीच सेतु का कार्य करता है और आमजन मानस की आवाज को सशक्त करता है। स्वस्थ लोकतंत्र हेतु प्रेस की अभिव्यक्ति की आजादी को अक्षुण्य रखना आवश्यक है।

श्री सहयोगी ने समाचार पत्रों पर जन विश्वास कानून-2023 के अन्तर्गत पीआरबी एक्ट 1867 के अनुपालन में समाचार पत्र की प्रिंटिड प्रति 48 घंटे के अन्दर आरएनआई/पीआईबी कार्यालय में जमा न कराने पर जुर्माना व पंजीकरण रद्द किये जाने के प्रावधान को लघु व मझोले समाचार पत्र प्रकाशकों को प्रताड़ित करने वाला व सरकार की डिजिटल इंडिया नीति के विरुद्ध बताया। उनका कहना है कि एक तरफ तो सरकारी कामकाज का ऑटोमाइजेशन किया जा रहा है और दूसरी ओर प्रिटिंग प्रति को 48 घंटों के अन्दर सैकड़ों किमी दूर कार्यालय में जमा कराने का प्रावधान किया जा रहा है। इसके स्थान पर आरएनआई द्वारा पीडीएफ फॉरमेट में समाचार पत्र को स्वीकार करने की व्यवस्था होनी चाहिए।

उन्होने मांग की कि सरकार को तत्काल पत्रकार सुरक्षा कानून बनाना चाहिए जिससे पत्रकार व उसके परिजन र्निविघन रूप से अपना कार्य कर सकें साथ ही पत्रकारों का नेशनल जर्नलिस्ट रजिस्टर भी बनाया जाना चाहिए। शासन प्रशासन द्वारा पत्रकारों पर दबाव बनाने के लिए झूठे मुकद्दमें या उत्पीडन हर स्तर पर निन्दनीय हैं। उन्होने चिन्ता व्यक्त की कि सरकारी विज्ञापन नीति के द्वारा लघु व क्षेत्रीय समाचार पत्रों का आर्थिक रूप से गला घोटने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार सिर्फ चुनिन्दा व बड़ी मीडिया कम्पनियों के अखबारों को ही देखना चाहती है जबकि क्षेत्रीय व ग्रामीण पत्रकारिता कर रहे पत्रकारों के अखबार आम जनमानस के ज्यादा निकट हैं और उनकी आवाज को बेहतर तरीके से सशक्त कर रहे हैं।

आईएपीएम द्वारा विगत दिनों कई राज्य सरकारों को पत्र लिखे गये है जिसमें मांग की गई है कि विभिन्न पत्रकार कल्याण समितियों अथवा प्रेस मान्यता समितियों का विधिवत गठन किया जाए जिससे पत्रकारों को आवश्यक सुविधाओं के प्रकरण जल्द निस्तारित हो सकें। गौरतलब है कि कई प्रदेशों में पत्रकारों से संबंधित समितियों का गठन लंबित है जिससे पत्रकारों के हित प्रभावित हो रहे हैं। आईएपीएम का प्रयास है कि ग्रामीण अंचल व क्षेत्रीय पत्रकारिता कर रहे पत्रकारों को भी आवश्यक सुविधाएं मिले तथा उन्हे मुख्य धारा में जोड़ा जा सके।

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