वसुधैव कुटुम्बकम् का अनुपम दृश्य: सुकून से भरपूर जीवन के लिए परमात्मा के प्रति कृतज्ञ रहें: निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

तीन दिवसीय निरंकारी सन्त समागम निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा-गन्नौर के मध्य हल्दाना बोर्डर पर स्थित मैदान में निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज रविवार की रात को मंगलकारी प्रवचनों की रसधारा प्रवाहित कर रहे थे। 

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सोनीपत: संतों की सिखलाई है कि विनम्रता को अपनाएं तो सुकून मिलेगा। प्रभु से जुड़ें तो मन में सुकून मिलेगा, हर हाल में प्रभु की रजा को माने तो सुकून मिलेगा, मन मर्जी को त्यागे तो सुकून मिलेगा। हर परिस्थिति परमात्मा का प्रसाद है। इस परमात्मा के साथ जुड़कर हर समय शुकराने में रहेंगे तो सुकून मिलेगा। ब्रह्म ज्ञान पर जितना मन टिकेगा उतने ही सुकून में जिएंगे। सुकून से भरपूर जीवन के लिए परमात्मा के प्रति कृतज्ञ रहें।

तीन दिवसीय निरंकारी सन्त समागम निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा-गन्नौर के मध्य हल्दाना बोर्डर पर स्थित मैदान में निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज रविवार की रात को मंगलकारी प्रवचनों की रसधारा प्रवाहित कर रहे थे।

Unique view of Vasudhaiva Kutumbakam: Be grateful to God for a life full of peace: Nirankari Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj
सोनीपत: सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज।

प्रेम बांटे, मन में सबर सुकून, शुकराने के साथ चलते चलें

सतगुरु माता जी ने कहा कि कोई चतुर चालाकियां भक्ति में काम नहीं आती, सिर्फ प्यार और प्रेम ही है, भक्ति कोई सौदेबाजी नहीं है। इसमें कोई शर्त नहीं होती है। जितना ज्यादा समर्पित संतों की कृपा से हमें सीख मिलती है वह सुकून और शंाति देती है। जब आंधी तूफान आते हैं तो नरम घास जमीन पर लेट जाती है लेकिन बड़े पेड पौधे चरमरा कर टूट जाते हैं। इसी तरह है चतुराई गुमराह करती है जबकि समर्पण मानव जीवन को बुलंदी देता हैं, शांति देता है। परमात्मा में प्रेम है, भक्ति है, प्रेम ही बांटते जाएं, मन में सबर सुकून, शुकराने के साथ चलते चलें। कुछ भी हासिल हो जाए, सुकून नहीं तो बात नहीं बनेगी। वस्तु को वस्तु की तरह सदुपयोग करें, मन पर इतना निर्भर ना हों कि दिमाग परेशान हो जाए। अपने ग्रिटीट्यूड कृतज्ञता से जुड़े रहना जरूरी है।

Unique view of Vasudhaiva Kutumbakam: Be grateful to God for a life full of peace: Nirankari Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj
सोनीपत: सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज, हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय निरंकारी संत समागम सतगुरु माता जी से आशीर्वाद लेते हुए।

निराकार में सारे गुण जीवन में अपनाते चलें

माता जी ने कहा कि सुकून चाहने वालों के लिए शुकराना और ग्रिटीट्यूड(कृतज्ञता) की भी बात होती है। मन में ग्रिटीट्यूड होगा तो जीवन में परमात्मा ने इतनी सुंदर सृष्टि की रचना की है। हमारा फर्ज है कि हम इंसान हैं, तो सही मायने में इंसान वाले गुणों को भी अपनाना है। केवल दिखावा नहीं करना है। इसीलिए दासी आपके चरण में बार-बार वही बात रखती है कि हम किसी भी परिस्थिति में शिकायत शिकवे ना करें हमेशा शुकराने को ही महत्वता दें। दातार ने हमें समाज में रखा है, बहुत रियलिस्टिक होकर शुकराना करना है। मन की उथल-पुथल को तवज्जो नहीं देंगे सुकून में रहेंगे। भक्त अपने ग्रिटीट्यूड के भाव को नहीं छोड़ता तो वह भक्ति हर समय का सुकून दे रही है।

इससे पूर्व निरंकारी राजपिता जी ने कहा कि सत्गुरु का एक एक भक्त अपने आप में सुकून की परिभाषा होता है। उसका आचरण ही संसार में सुकून पहुंचाने का कार्य करता है। शांति सुकून का सन्देश हमें निरंतर दिया जा रहा है। लेकिन हमारी धारणा बन चुकी है कि सुकून जैसी कोई वस्तु है ही नहीं। मन में इस तरह की भावना आती है, उसके अभाव की अनुभूति नहीं रह जाती है। हम बहुमूल्य दात से प्रायः वंचित रह जाते हैं जिसके लिए हमें यह मनुष्य तन मिला है। सुकून की प्राप्ति सत्गुरु के द्वारा ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर परमसत्य के निरंतर अहसास से ही सम्भव है।

हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय निरंकारी संत समागम में पहुंचे हिन्दी व मराठी में संदेश दिया कि संत निरंकारी परिवार मानवता का संदेश पूरे विश्व में देकर भारत का नाम रोशन कररहा है। निरंकारी संत समागम में निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज निरंकारी राजपिता जी से आशीर्वाद भी लिया।

इस पावन सन्त समागम में सम्मिलित हुए सभी श्रद्धालुओं ने जहां समागम के हर पहलू से भरपूर आनंद प्राप्त किया वहीं सुकून भरी जिंदगी जीने का सुंदर भाव हृदय में बसाया।

 

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