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Krishna Kumar nirman

कृष्ण कुमार निर्माण की कलम से : तुम्हारी यादें

 तुम्हारी यादें तुम्हारी यादें आती रहती हैं निरन्तर अनवरत कभी सूखी घास की तरह कभी हरी दूब की तरह कभी तूफानों सी टकराती हैं कभी लहरों सी आती हैं कभी छुअन बन जाती है कभी रुदन बन जाती हैं पता नहीं क्यों..... जलाती रहती हैं मुझे…
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कृष्ण कुमार निर्माण की कलम से:हरियाणवी गीतिका

हरियाणवी गीतिका इश्क भी एक बीमारी लिख दये।। या सबत्ये भुंडी न्यारी लिख दये।। इब्ब  पेट-पाप सै सबक्ये भीतर। माणस  की  हुश्यारी  लिख दये।। नेता  जी  की  सुण इब्ब योग्यता। झूठ-झाठ चोरी जारी लिख दये।। कर्म जिस्से इब्ब…
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कृष्ण कुमार निर्माण की कलम से: दो मुक्तक

दो मुक्तक यादों  को  सीने  से  लगाकर  रखता  हूँ। मैं  अपने  दिल  को बहलाकर रखता हूँ।। कहीं  मेरा महबूब दुखी ना हो जाए बस। इसलिए अपने जख्म छुपाकर रखता हूँ।। इस  तरह  से जीवन बशर कर  लूंगा मैं। तेरे ख्यालों से सुहानी डगर…
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