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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कलयुग में मौन हो गई रिश्तेदारी

✍ लेखक की कलम से...... पुराने जमाने में लोग अपने रिश्तेदारों के वहा सामाजिक कार्यों में जाकर दो दिन रहकर काम में हाथ बटाते नझर आते थे वह रिश्तेदारों का घर अपना ही घर समझकर प्रेम भावना से हर मौके पर सहयोग (मद्दद) करने की अषिम भावना से मिल…
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