सोनीपत: जैव विविधता के महत्व को रेखांकित करती है सनातन भारतीय संस्कृति- श्यो प्रसाद

कई पशु एवं पक्षी तो हमारे भगवानों के वाहन माने जाते हैं। जैसे, भगवान गणेश का वाहन मूषक को माना जाता है, मां दुर्गा का वाहन शेर को माना जाता है, भगवान शिव के गले में सर्प हमेशा वास करते हैं एवं नंदी को उनका वाहन माना जाता है, भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ को माना जाता है।

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सोनीपत: आज जिलास्तरीय गीता महोत्सव में आये ग्रामीणों और स्कूल के छात्रों को सन्देश देते हुए जैव विविधता बोर्ड पंचकूला के जिला समन्वयक श्यो प्रसाद ने बताया की सनातन हिंदू संस्कृति में किसी भी जीव की हत्या निषेध है और ऐसा माना जाता है कि अपने लिए पूर्व निर्धारित भूमिका को निभाने के उद्देश्य से ही विभिन्न जीव इस धरा पर जन्म लेते हैं एवं सभी जीवों में आत्मा का वास होता है। इसलिए हिंदू धर्मावलम्बियों द्वारा पशु, पक्षियों, पेड़, पौधों, नदियों, पर्वतों, आदि को भी ईश्वर का रूप मानकर पूजा जाता है।

कई पशु एवं पक्षी तो हमारे भगवानों के वाहन माने जाते हैं। जैसे, भगवान गणेश का वाहन मूषक को माना जाता है, मां दुर्गा का वाहन शेर को माना जाता है, भगवान शिव के गले में सर्प हमेशा वास करते हैं एवं नंदी को उनका वाहन माना जाता है, भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ को माना जाता है, भगवान कार्तिक का वाहन मोर को माना जाता है एवं धन की देवी लक्ष्मी माता का वाहन उल्लू को माना जाता है। हिंदू समाज में भगवानों की पूजा के साथ साथ उनके वाहनों के रूप में पशु एवं पक्षियों की भी पूजा अर्चना की जाती है। नाग पंचमी नामक त्यौहार के दिन सांप को दूध पिलाया जाना शुभ माना जाता है।

डिस्ट्रिक्ट कोर्डिनेटर ने भी बताया की विकसित देशों में वैज्ञानिकों द्वारा लगातार की जा रही शोधों के आधार पर अब यह कहा जा रहा है कि दरअसल पूरे विश्व में केवल सनातन हिंदू संस्कृति ही लाखों वर्षों से बहुत ही वैज्ञानिक आधार पर चल रही है। पशु, पक्षी, पेड़, पौधे, नदियों, पर्वतों, जंगलो के संरक्षण की बात इस महान संस्कृति के मूल में है। इस धरा पर समस्त जीवों का अपना महत्व है एवं इन्हें अपनी भूमिका का निर्वहन इस धरा पर करना होता है। जैसे गंदगी साफ करने में कौआ और गिद्ध की प्रमुख भूमिका पाई गई हैं। परंतु दुर्भाग्य का विषय है कि हाल ही के समय में गिद्ध शहरों ही नहीं बल्कि जंगलों में भी लुप्तप्रायः हो गए हैं। हम लोग जानते ही नहीं है कि गिद्धों के न रहने से इस पृथ्वी ने क्या खोया है इसलिए जैव विविधता का संरक्षण जरुरी है और प्रत्येक व्यक्ति का धर्म है इसकी रक्षा करें लोगों ने तालियों से जिला समन्वयक का आभार जताया । इइस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहें।

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