सोनीपत: सोनीपत में सबसे ज्यादा राई में 119 एमएम बरसात हुई, जलभराव

कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डा. अनिल सहरावत बताते हैं कि बरसाती पानी अधिक आने से किसानों ने धान की रोपाई तेज कर दी है। धान को पानी की अधिक जरुरत होती है। किसानों को इससे लाभ मिलेगा। धान लगा चुके हैं उस फसल में भी लाभ है।

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  • सोनीपत 43 एमएम, गोहाना 39 एमएम, खरखौदा 20 एमएम, खानपुर कलां 51 एमएम, राई 119 एमएम
  • शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में जलभराव से लोग परेशान लेकिन किसानों के चेहरे खिले

सोनीपत:बरसात से जहां शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में जलभराव की समस्या आई है वहीं पर किसानांे के चेहरे खले हैं। ठरु गांव में सुरेंद्र खेत में तीन फीट पानी खड़ा हो गया है। पानी निकासी के लिए सिंचाई विभाग से मदद ली गई है।

सोनीपत जिला भर में रविवार की सुबह 8 बजे तक जो वर्षा रिकार्ड की गई है उसमें सोनीपत 43 एमएम, गन्नौर 54 एमएम, गोहाना 39 एमएम, खरखौदा 20 एमएम, खानपुर कलां 51 एमएम, राई 119 एमएम बरसात हुई है। रविवार को सुबह 8 बजे से सांय 6 बजे तक सोनीपत 62 एमएम, गन्नौर 96 एमएम, गोहाना 03 एमएम, खरखौदा 13 एमएम, खानपुर कलां 04 एमएम, राई 65 एमएम बरसात हुई है। लगातार हो रही बरसात से शहर सोनीपत में रहने वाले लोगों की परेशानी बढी है। गोहाना रोड बाइपास अंडरपास, ककरोई चीक, सूरी पंप वाली सड़क, शनि मंदिर अंडरबिन आदि सभी मार्गों पर जलभराव होने से गाड़ियों का निकलना मुश्किल हो रहा है। सोनीपत में शनि मंदिर के पास रेलवे अंडर पास में पानी भरा हुआ है गन्नौर के पांची रोड रेलवे रोड गढी झज्जरा रोड, खरखौदा में मेन बाजार में, खानपुर कलां में गोहाना रोड पर सड़क टूटी हुई है वाहन क्षतिग्रस्त होक रहे हैं।

दूसरी ओर कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डा. अनिल सहरावत बताते हैं कि बरसाती पानी अधिक आने से किसानों ने धान की रोपाई तेज कर दी है। धान को पानी की अधिक जरुरत होती है। किसानों को इससे लाभ मिलेगा। धान लगा चुके हैं उस फसल में भी लाभ है।

जिले भर में 80 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती की जा रही है। लगभग 32 हजार हेक्टेयर में रोपाई हो चुकी है। लेकिन एक समस्या यमुना नदी को लेकर यहां पर स्टड लगाने का काम नहीं हो पाया है। सोनीपत के विधायक सुरेंद्र पंवार और मेयर निखिल मदान के साथ पार्षद पानी की निकासी को लेकर धरना भी दे चुके हैं। शहर सोनीपत में पानी की निकासी का पुख्ता बंदोबस्त नहीं हो पाया है। वास्तव में यही जमीनी हकीकत है इस पर संबंधित अधिकारियों को ध्यान देने की जरुरत है।

 

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