सन्त निरंकारी मिशन: परमात्मा में खुद को शामिल रखें तो हर पल सुनहरा: सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

गेटवे स्कूल के पास, सेक्टर रोड, सेक्टर 15-16, सोनीपत के मैदान में रविवार देर रात मंगलकारी प्रवचनों की रसधारा प्रवाहित कर रही थी। सतगुरु माता जी के साथ निरंकारी राजपिता भी मंचासीन रहे।

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  • संत समागम से पहले रेलवे रोड स्थित नवनिर्मित संत निरंकारी सत्संग भवन का उद्घाटन माता सुदीक्षा जी महाराज व निरंकारी राजपिता जी द्वारा किया गया

सोनीपत: सन्त निरंकारी मिशन की सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा है कि परमात्मा में खुद को शामिल रखें तो हर पल सुनहरा होगा। वह पल चाहे हंसी मजाक हो या कोई और कारण हो वो और सुनहरे हो जाते हैं। भक्ति माया के जाल में उलझती नहीं है। यह किसी डर, किसी शिकवे से नहीं प्यार की राह पर मिलती है। गेटवे स्कूल के पास, सेक्टर रोड, सेक्टर 15-16, सोनीपत के मैदान में रविवार देर रात मंगलकारी प्रवचनों की रसधारा प्रवाहित कर रही थी। सतगुरु माता जी के साथ निरंकारी राजपिता भी मंचासीन रहे।

Sant Nirankari Mission: Keep yourself involved in God, then every moment is golden: Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj
गेटवे स्कूल के पास, सेक्टर रोड, सेक्टर 15-16, सोनीपत के मैदान में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महारााज और निरंकारी राजपिता रमित चांदना जी।
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गेटवे स्कूल के पास, सेक्टर रोड, सेक्टर 15-16, सोनीपत के मैदान में आयोजित निरंकारी संत समागम में उपस्थित श्रद्धालु।

परमात्मा को प्राथमिकता देने से जीवन सरल और सहज हो जाता है
सतगुरु सुदीक्षा जी महाराज ने दिव्य संदेश में कहा कि परमात्मा तो हर समय हमारे साथ है बस मन विचलित करता है, डामाडोल करता है। सत्संग के लिए आए हैं आपके मन में भक्ति के, आस्था के, विश्वास के, एक मानवीय दिव्य भाव के गुणों को लेकर जाएंगे। जो जीवन हमें इस परमात्मा ने दिया है। यह समय व्यर्थ ना चला जाए। हमें समय-समय पर संत भक्त महात्मा समझाते आए हैं। अपने जीवन में परमात्मा को प्राथमिकता देने से जीवन सरल और सहज हो जाता है। परमात्मा के साथ जोड़ने का साधन सत्संग है, इसके लिए परमात्मा को पाना है। यह ब्रह्मज्ञान द्वारा निराकार की प्राप्ति होती है। जीवन में अपने आप ही परमात्मा का अस्तित्व, परमात्मा का एहसास, बढ़ता जाता है।

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 संत समागम में हरियाणवी रचना प्रस्तुत करते हुए गीतकार। 

प्रभु के साथ जुड़े हुए मन में सिर्फ प्यार ही हो
सुदीक्षा माता जी ने कहा कि प्रभु के साथ जुड़े हुए मन में सिर्फ प्यार ही है, कोई छल कपट नहीं, कोई चालाकी नहीं, हम अंदर बाहर एक जैसे हो जाते हैं। एक सोच, एक प्रेरणा जिसके साथ भक्ति में जीते हैं। आप संत अपने कर्म योग से यह प्रेरणा देते हैं। इस संसार में आए हैं तो घर, परिवार, समाज की जिम्मेदारियों निभाना है। अपने कर्तव्य से भागना नहीं है। संसार में इस तरह से रहना है कि हर इंसान से प्यार हो, अपनेपन का भाव रहे, हर कोई पूज्यनीय लगे, हर किसी में परमात्मा के दर्शन हों। हमें भक्ति ऐसे करनी है जो भक्ति की तरंगों के साथ मानव जीवन में हमें परमात्मा की महत्वता अहसास हो।

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 संत समागम में रचना प्रस्तुत करते हुए गीतकार।
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 संत समागम में रचना प्रस्तुत करते हुए गीतकार।
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गेटवे स्कूल के पास, सेक्टर रोड, सेक्टर 15-16, सोनीपत के मैदान में आयोजित निरंकारी संत समागम में उपस्थित श्रद्धालु।

परमात्मा को कोई फर्क नहीं पड़ता
सुदीक्षा माता जी ने कहा कि खराब परिस्थितियों में भी हमें अपने विश्वास को बनाए रखना है, नहीं तो एक पल में परमात्मा से भी विश्वास उठ जाता है। परमात्मा पर किसी को विश्वास है या नहीं इससे परमात्मा को कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि परमात्मा तो अपने आप में पूर्ण परिपूर्ण है, संपूर्ण है। भक्ति भरा हमारा जीवन होगा और जीते जी शरीर के मन का कल्याण होगा। मोक्ष का रास्ता मिलेगा, लोग सुखी परलोक सुहेला होगा। यह जीवन जीते जी इस निरंकार में लीन रहना है, यही समर्पण है यही भक्ति है। संत समागम में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, हरियाणा के सोनीपत, गोहाना राई, गन्नौर खरखौदा आिद क्षेत्रों से हजारों निरंकारी संत शामिल हुए। सोनीपत सेक्टर संयोजक राजन छाबड़ा ने सभी का आभार व्यक्त किया। विभिन्न, गीतकारों, कवियों, वक्ताओं ने मानवता संदेश अपनी रचनाओं के माध्यम से दिया। संत समागम से पहले रेलवे रोड स्थित निरंकारी भवन के नवनिर्माण को उद्घाटन माता सुदीक्षा जी महाराज व निरंकारी राजपिता जी द्वारा किया गया।

 

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3 Comments
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