लेखक नरेंद्र शर्मा परवाना की कलम से: आखिर संकल्प नए साल पर ही क्यों लें

यह बात इसलिए कही क्योंकि जीवन में जब भी नया साल आता है तो हर व्यक्ति एक संकल्प लेता है। कि आज से मैं इस बुरी आदत को छोड़ दूंगा। आज मैं नए सिरे से इस काम को आरंभ करूंगा। यह एक रूटीन सा बना हुआ है।

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आखिर संकल्प नए साल पर ही क्यों लें

आपकी जिंदगी का हर पल नया है, हर सांस नया है। फिर कोई भी संकल्प लेने के लिए नया साल ही क्यों? क्यों नहीं आज और अभी से इसी वक्त से हम एक संकल्प ले लें कि हम हंसते रहेंगे, हम मुस्कुराते रहेंगे। संपर्क में आने वाले व्यक्तियों के साथ में प्यार करेंगे, स्नेह करेंगे, सौहार्द के साथ रहेंगे। मोहब्बत की खुशबू से लबरेज वातावरण करेंगे।

यह बात इसलिए कही क्योंकि जीवन में जब भी नया साल आता है तो हर व्यक्ति एक संकल्प लेता है। कि आज से मैं इस बुरी आदत को छोड़ दूंगा। आज मैं नए सिरे से इस काम को आरंभ करूंगा। यह एक रूटीन सा बना हुआ है।

वास्तव में आपकी जिंदगी का एक जनवरी को ही नया संकल्प क्यों? आज बहुत ही अदब और सत्कार के साथ हम आपके साथ में चर्चा करेंगे कि जिंदगी का हर सांस आपका नया है, कल क्या हो किसी को क्या पता, इसलिए हमें इस जीवन को जीने का एक अंदाज, एक तौर, एक तरीका, एक जीवन जीने का सलीका इस प्रकार से स्वीकार करने की आवश्यकता है कि हम आज, इसी वक्त एक संकल्प ले लें कि हम अपनी जिंदगी में यह कार्य करना चाहते हैं। आपको जीवन में कामयाबी के सफर को तय करना है।

इसके लिए एक छोटी सी कहानी सुन लीजिए एक सज्जन एक अनुभवी, एक दार्शनिक, एक साधु – संत के पास जाता है। वह कहता है महाराज मेरी जिंदगी में मैने बहुत गलत काम किए सब मेरे से दूर हो गए। मेरा भविष्य बताएं उसे अनुभवी व्यक्ति ने एक बात कही कि तुम्हारी जिंदगी बहुत कम है तुम्हें केवल अब 7 दिन जीने के मिलेंगे, उसके पश्चात तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी।

उसने कहा कि तुम इस 7 दिन के अंदर जो भी अच्छा कर सकते हो, जिससे तुम्हारे अनबन चल रही है। उनसे क्षमा मांग लो, जिस आपके कार व्यवहार के अंदर बुराई है, उसको अच्छाई में बदल लो। लोगों से थोड़ा सा स्नेह करो। क्योंकि 7 दिन के बाद तुम इस जिंदगी से विदा हो जाओगे। उसने लोगों के साथ में तारतम्य बनाना शुरू किया, व्यवहार में शालीनता आरंभ की। जो भी मिलता उससे बोलता भाई मुझे क्षमा करना, मैंने आपके साथ बहुत अन्याय किया है। मैं आपके साथ बहुत गलत व्यवहार करता रहा, आप मुझे क्षमा कर दो। धीरे-धीरे उसके इष्ट -मित्र, सगे- संबंधी उसके साथ रहने वाले, उसके हमसफर हम साया बनकर उसको अच्छा कहने लगे।

सात दिन का समय पूरा होने वाला था। वह उस महात्मा के पास पहुंच कर बोले महाराज आपसे भी क्षमा चाहूंगा। क्योंकि आज के बाद मैं इस दुनिया से चला जाऊंगा इसलिए मैं आपसे भी क्षमा मांगता हूं। उसे महात्मा ने कहा हे वत्स उठो तुम्हारी जिंदगी में श्रेष्ठता आरंभ हो रही है। परमपिता परमात्मा तुम पर प्रसन्न हो गए हैं। तुम्हें जिंदगी को और सुकून के साथ जीने का समय मिल रहा है।

वह व्यक्ति जिंदगी के कुछ और पल जिया, कुछ साल जिया, खुशहाल होकर जिया।

दोस्तों वह सज्जन कोई और नहीं वह सज्जन आप ही तो हैं। यह महात्मा आपकी अंतरात्मा है। आज आप जो नए साल में संकल्प ले रहे हैं। थोड़ा सा चिंतन कीजिए, मनन कीजिए, मंथन कीजिए, उसके पश्चात आप एक निर्णय कर लीजिए । कि केवल आज आपको मुस्कुराना है आज आपने केवल एक पल के लिए मुस्कुराना है। इस मुस्कुराहट को आप किसी भी समय, किसी भी महीने, किसी भी सप्ताह से आरंभ कर सकते हैं। क्योंकि आपकी जिंदगी का हर पल नया है। हर सांस नहीं है। तो एक पल के लिए मुस्कुरा लीजिए। वर्तमान में वर्तमान में एक पल मुस्कुरा लीजिए।

देखिए गुजरा हुआ समय वापस नहीं आता। भविष्य के गर्भ में क्या छिपा अपने को मालूम नहीं होता। हम वर्तमान में जी रहे हैं। इस वर्तमान में मुस्कुराना, इस वर्तमान में सकारात्मक चिंतन को लेकर चलना। इस वर्तमान के अंदर हम अपने संपर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के साथ में अच्छा व्यवहार करना शुरू कर दें। यह आपके घर परिवार के अंदर, आपके कारोबार के अंदर, आपके रिश्तेदारों के अंदर, आपकी इमेज को,आपकी छवि को बेहतर करेगा। हर मुकाम पर कामयाबी की पायदान के ऊपर कदम रखने के लिए सक्षमता प्रदान करेगा। आपके चेहरे पर, आपका ओज आपका तेज चमकता नजर आएगा।

आप मुस्कराते हुए संपर्क में आने वालों से मिलेंगे तो उनके चहेते बन जाएंगे।

तो आरंभ कीजिए आज से, अभी से, इसी सुंदर भावना, इसी सुंदर कार्यशैली के साथ अपनी जिंदगी का सुहाना सफर तय कीजिए।
यह हमारी दुआओं का असर रहे । जिंदगी का आपका सुहाना सफर रहे। शुभकामनाएं आपके बेहतर जीवन के लिये।

नरेंद्र शर्मा परवाना
लेखक: ज्ञान ज्योति दर्पण के संपादक हैं। कई पुस्तकों के लेखक हैं। 44 वर्षों का लेखन अनुभव है।
9416485943

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