सोनीपत: विधायक सुरेंद्र पंवार ने श्री हुजूर साहब गुरुद्वारा के लिए श्रद्धालुओं को किया रवाना

विधायक सुरेंद्र पवार ने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह ने पवित्र गुरू ग्रन्थ साहब को पूरा किया तथा उन्हें गुरु रूप में प्रतिष्ठित किया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अन्याय, अत्याचार और पापों को खत्म करने के लिए और धर्म की रक्षा के लिए युद्ध लड़े। धर्म की रक्षा के लिए समस्त परिवार का बलिदान किया, जिसके लिए उन्हें 'सरबंसदानी' (पूरे परिवार का दानी ) भी कहा जाता है।

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सोनीपत (अजीत कुमार): विधायक सुरेंद्र पंवार ने सेक्टर-15 स्थित श्री गुरु श्री तेग बहादुर साहब गुरुद्वारा साहब में श्री हजूर साहिब सचखंड गुरूद्वारा साहब, नांदेड़ जाने वाले श्रद्धालुओं से मुलाकात की। इस दौरान श्रद्धालुओं को फूलमालाएं पहनाकर सम्मानित किया। सभी श्रद्धालुओं की मंगलमय यात्रा की कामना की।

Sonipat: MLA Surendra Panwar sent off the devotees for Shri Huzoor Saheb Gurudwara.
विधायक सुरेंद्र पंवार सेक्टर-15 स्थित गुरुद्वारा में श्रद्धालुओं से मुलाकात कर उन्हें सम्मानित करते हुए।

विधायक सुरेंद्र पवार ने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह ने पवित्र गुरू ग्रन्थ साहब को पूरा किया तथा उन्हें गुरु रूप में प्रतिष्ठित किया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अन्याय, अत्याचार और पापों को खत्म करने के लिए और धर्म की रक्षा के लिए युद्ध लड़े। धर्म की रक्षा के लिए समस्त परिवार का बलिदान किया, जिसके लिए उन्हें ‘सरबंसदानी’ (पूरे परिवार का दानी ) भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त जनसाधारण में वे कलगीधर, दशमेश, बाजांवाले, आदि कई नाम, उपनाम व उपाधियों से भी जाने जाते हैं। विश्व की बलिदानी परम्परा में अद्वितीय होने के साथ-आथ गुरु गोविन्द सिंह एक महान लेखक, मौलिक चिन्तक तथा सँस्कृत सहित कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने स्वयं कई ग्रन्थों की रचना की।

Sonipat: MLA Surendra Panwar sent off the devotees for Shri Huzoor Saheb Gurudwara.
विधायक सुरेंद्र पंवार सेक्टर-15 स्थित गुरुद्वारा में श्रद्धालुओं से मुलाकात कर उन्हें सम्मानित करते हुए।

उन्होंने सदा प्रेम, सदाचार और भाईचारे का सन्देश दिया। किसी ने गुरुजी का अहित करने की कोशिश भी की तो उन्होंने अपनी सहनशीलता, मधुरता, सौम्यता से उसे परास्त कर दिया। वे बाल्यकाल से ही सरल, सहज, भक्ति-भाव वाले कर्मयोगी थे। उनकी वाणी में मधुरता, सादगी, सौजन्यता एवं वैराग्य की भावना कूट-कूटकर भरी थी। उनके जीवन का प्रथम दर्शन ही था कि “धर्म का मार्ग सत्य का मार्ग है और सत्य की सदैव विजय होती है”।

 

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