सोनीपत: सोनीपत की डा. राजकला देशवाल को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य पुरस्कार का सम्मान

हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की आरे से साहित्यकार डा. सन्तराम देशवाल ने कहा कि बाबू बालमुकुंद गुप्त एक मिशनरी, निडर, निष्पक्ष और क्रांतिकारी पत्रकार के साथ- साथ एक ऐसे राष्ट्रवादी साहित्यकार थे, लेखनी से अंग्रेजी शासक डरते थे।

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सोनीपत: हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकूला और बाबू बालमुकुंद गुप्त पत्रकारिता एवं साहित्य संरक्षण परिषद् रेवाड़ी के संयुक्त तत्वावधान में रेवाड़ी में बाबू बालमुकुंद गुप्त स्मृति समारोह में सोनीपत निवासी डॉ राजकला देशवाल को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य पुरस्कार दिया गया है।

समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कोसली के विधायक लक्ष्मण सिंह, मुख्य वक्ता हरियाणा साहित्य अकादमी के पूर्व निदेशक डा.चन्द्र त्रिखा और कोलकाता से पधारे बाबू बालमुकुंद गुप्त के प्रपौत्र विमल गुप्त ने संयुक्त रूप से इस प्रतिष्ठित पुरस्कार में डॉ राजकला देशवाल को 5100 रूपये का नकद पुरस्कार, प्रशस्ति पत्र, शाल और श्रीफल देकर सम्मानित किया। शमसेर कोसलिया, रौनक हरियाणवी व अहमना मनोहर को भी सम्मानित किया गया। हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की आरे से साहित्यकार डा. सन्तराम देशवाल ने कहा कि बाबू बालमुकुंद गुप्त एक मिशनरी, निडर, निष्पक्ष और क्रांतिकारी पत्रकार के साथ- साथ एक ऐसे राष्ट्रवादी साहित्यकार थे, लेखनी से अंग्रेजी शासक डरते थे। समारोह की अध्यक्षता परिषद् के संरक्षक नरेश चौहान ने की तथा कोसली के एस.डी.एम होशियार सिंह, सत्यवीर नाहडिय़ा, अकादमी के भाषा संपादक डा. विजेन्द्र कुमार, प्रवीण खुराना, ऋषि सिंहल, हेमंत सिंहल, प्रो.रमेशचन्द्र शर्मा, विपिन सुनेजा, प्रो.रमेश सिद्धार्थ, मुकुट अग्रवाल, नरेश यादव, कृष्ण भगवान गुप्त आदि शामिल रहे।

 

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