पिता पर आधारित कविता: पिता जीवन निर्माता है, पिता भाग्य विधाता है, पिता संतान की धरा है

पिता आकार है संस्कार है पिता संतान का पूरा संसार है पिता ज्ञान का सागर है आदर्शों की भरी गागर है

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पिता जीवन निर्माता है पिता भाग्य विधाता है पिता संतान की धरा है पिता सन्तान के सिर पर गगन है पिता पिता जीवन को सुगंधित करने वाला एक माह का चमन है।
पिता आकार है संस्कार है पिता संतान का पूरा संसार है पिता ज्ञान का सागर है आदर्शों की भरी गागर है

पिता जीवन को चलाने वाला सच है
पिता जीवन का सुरक्षा का कवच है

पिता संतान की भूख मिटाता है चलना सिखाता है पिता ज्ञान का उजाला देता है पिता अपनी मोहब्बत का प्याला देता है पिता संतान के लिए दिव्य है जीवन के लिए भव्य है पिता ब्रह्म है पिता परम है।

पिता जीवन का उजियारा है हृदय शीतल करने वाली जनों की जलधारा है जो कहता है कि पिता उनको जान से प्यारा है उनको

परमात्मा ने निखारा है ऐसा मारा है और मुसीबतों से पार उतारा है
पिता हर पल कहता है कि संतान उसकी उसको सबसे प्यारा है

पिता खास है आस है
हमको जो विश्वास है,

पिता नारियल की तरह ऊपर से सख्त अंदर से नरम है
जो अपने आप में पूर्ण है परिपूर्ण है इस संपूर्ण है।

पिता मकान की छत है जो आंधी से बचाता है तूफान से बचाता है तपिश से बचाता है पिता भाग्य का विधाता है हमारे जीवन का निर्माता है।

पिता अपनी संतान की उंगली पकड़कर चलना सिखाता है जीवन जीने का तरीका बताता है दिव्य गुणों से अलंकृत कर हमारे जीवन को बनाता है।

पिता से सबसे बड़ी जागीर है
पिता के साये में रहने वाला अमीर है।

सनत-कुसुम, विनय-नीलम, सौरभ-निधि, गुंजन-दिनेश

 

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