राम भगत शर्मा की कलम से: भगवान जानते हैं कि मनुष्यों को अधर्म और अत्याचार से किस प्रकार मुक्ति दिलवानी है।

मेरा मानना है कि भगवान शिव अपने भक्तों की आवाज सुनकर गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या की पुकार सुनकर भगवान महादेव ने ऋषि गौतम की उस समय रक्षा की थी जिस समय ग्रामवासियों ने गौतम ऋषि को पकड़ कर उसे दण्ड देने की कोशिश की।

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राम भगत शर्मा (चंडीगढ़) की कलम से 

चंडीगढ़: परमात्मा अपने भक्तों की पुकार सुनकर अवश्य ही उसकी रक्षा करते हैं जिस प्रकार से गणिका महानन्दा की रक्षा करने के लिए महादेव ने एक वैश्य बनकर उसकी रक्षा की और उसके एकादशी के व्रत को पूरा करवाया गया और महादेव ने उसकी रक्षा की और महानन्दा को आशीर्वाद देकर उपकृत किया।

इसी प्रकार से महादेव ने ऋषियों के अंहकार के खण्डित करके उनके अंहकार को खण्डित करके उन ऋषि पत्नियों की रक्षा की थी जो महदेव के प्रति आस्था और विश्वास रखती थी और इतना ही नही भगवान शिव ने चन्द्रमा को अपने सिर पर धारण करके दक्ष प्रजापति के श्राप को प्रभावहीन किया था।

मेरा मानना है कि भगवान शिव अपने भक्तों की आवाज सुनकर गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या की पुकार सुनकर भगवान महादेव ने ऋषि गौतम की उस समय रक्षा की थी जिस समय ग्रामवासियों ने गौतम ऋषि को पकड़ कर उसे दण्ड देने की कोशिश की थी तो गौतम ऋषि की पत्नी की पुकार पर भगवान शिव ने रक्षा की थी। सर्वेश्वर परमात्मा भगवान जानते हैं कि मनुष्यों को अधर्म और अत्याचार से किस प्रकार मुक्ति दिलवानी है।

जहां पर अधर्म और अत्याचार होता है उसको समाप्त करने और अपने भक्तों की रक्षा प्रभु अपने आप करते हैं। भगवान अपनी लीला करने के लिए कोई न कोई रचना करते रहते हैं जिस प्रकार से भगवान शंकर ने नागपुर के पास त्रिकम्बेश्वर में ज्योतिर्लिंग की स्थापना करनी थी इस लिए ही उन्होंने एक भक्त की रक्षा करने और मानव कल्याण करने के लिए त्रिम्बकेश्वर में ज्योतिर्लिंग की स्थापना की और गंगा नदी को नर्मदा और ताप्ती नदियों का नाम देकर गंगा का दक्षिण में पदार्पण करवाया। इसी लिए कहा गया है कि प्रत्येक कार्य के पीछे भगवान की लीला ही होती है।

 

 

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