सतकुम्भा उत्सव 2023: वेदों में सिद्धांत और परिणाम दोनों ही विद्यमान है: डा. देवआनंद शुक्ला

डा. देव ने कहा कि आप जनगणना में होने के समय गर्व से कहें कि संस्कृत आपकी भाषा है। आपके पूर्व आप नाम आपका काम आपकी विद्या, आपका ज्ञान आपका ध्यान, आपकी पाठ पूजा, जीवन जीने की पद्धति, विवाह शादी, खान पान, रहन सहन, आपके राेम राेम में आपकी हर स्वांस में संस्कृत वास करती है।

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  • हर स्वांस में संस्कृत का वास है इसलिए गर्व से हमारी भाषा संस्कृत है  
  • सोने की राजधानी स्वर्णप्रस्थ में रावण भी कर देता था: श्रीमहंत राजेश स्वरुप जी

सोनीपत: केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली के शैक्षणिक निदेशक डॉ. देव आनंद शुक्ला ने बतौर मुख्य अतिथि रविवार को सतकुंभ उत्सव समापन समारोह में कहा कि संस्कृत दो प्रकार की है एक लौकिक पर एक वैदिक प्रकार से विद्यमान है। संस्कृत को पूरे विश्व ने मान्यता दी है। वैज्ञानिकों ने भी इसको स्वीकारना पड़ा कि आंतरिक्ष से संदेश प्राप्त करने के लिए संस्कृत भाषा ही कारगर साबित हुई है।

Satkumbha Utsav 2023: Principle and result both exist in Vedas: Dr. Devanand Shukta
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली के शैक्षणिक निदेशक डॉ. देव आनंद शुक्ला पत्नी प्रीति शुक्ल रूद्र महायज्ञ में आहुति देते हुए साथ में है डॉ कांता भारद्वाज ।

डा. देव ने कहा कि आप जनगणना में होने के समय गर्व से कहें कि संस्कृत आपकी भाषा है। आपके पूर्व आप नाम आपका काम आपकी विद्या, आपका ज्ञान आपका ध्यान, आपकी पाठ पूजा, जीवन जीने की पद्धति, विवाह शादी, खान पान, रहन सहन, आपके राेम राेम में आपकी हर स्वांस में संस्कृत वास करती है। भूगोल शास्त्र जिसमें अंतरिक्ष विज्ञान की चर्चा है। जब हम अंतरिक्ष की बात करते हैं तो ग्रह नक्षत्र की चर्चा होती है। उपचार के लिए संस्कृत, ज्योतिष के लिए संस्कृत, पूरा ज्योतिष ग्रह नक्षत्र पर आधारित है। शास्त्रों से विधि प्राप्त होती हैं। स्टार्टिंग प्वाइंट प्राप्त होता है तो उसका हमें परिणाम मिलता है। जैसे सूर्य की दूरी कितनी है यह लिखा हुआ है पर यह दूरी कैसे प्राप्त हुई उसके बीच का जो प्रोसेस है वह कालांतर में कालचक्र से स्पष्ट हो गया है। उसी के ऊपर अनुसंधान चल रहा है। वह क्रिया कैसे ढूंढी जाए, मंगल ग्रह पृथ्वी का पुत्र है। विज्ञान कहता है कि वह पृथ्वी का टुकड़ा है, पुत्र तो मां का कलेजा होता है मंगल ग्रह का स्वरूप वह लाल रंग का बताया गया है। यहां बताया कि लाल रंग की मिट्टी प्राप्त होती है हमारे यहां पर सिद्धांत और परिणाम दोनों ही विद्यमान है।

Satkumbha Utsav 2023: Principle and result both exist in Vedas: Dr. Devanand Shukta
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली के शैक्षणिक निदेशक डॉ. देव आनंद शुक्ला पत्नी प्रीति शुक्ल रूद्र महायज्ञ में आहुति देते हुए साथ में है डॉ कांता भारद्वाज ।

जोगी समाज के प्रदेश अध्यक्ष उमेद सिंह छतेहरा को श्रीमहंत राजेश स्वरुप जी महाराज ने पगड़ी पहनाकर सम्मानित करते हुए। 

 

सात दिवसीय रुद्र महायज्ञ पूर्णाहुति के साथ सम्पन्न हुआ। वेद पाठियों ने मंत्रोच्चारण के साथ पूरे विश्व के लिए मंगलकामना की। लज्जाराम ट्रस्ट पांडू पिंडारा जींद की सदस्य डा. कांता शर्मा ने प्रीति शुक्ला व जोगी समाज के प्रदेश अध्यक्ष उमेद सिंह छतेहरा मुख्यअतिथि डा. वेद आनंद शुक्ला का श्रीमहंत राजेश स्वरुप जी महाराज ने पगड़ी पहनाकर सम्मान किया। विदूषी शिवानी शर्मा ने महिला शक्ति पर विचार व्यक्त किये। जबकि भाजपा सोनीपत के जिला अध्यक्ष तीर्थ राणा, चाणक्य पंडित आदि का स्वागत खेड़ी गुज्जर के सरपंच जगबीर छौक्कर व पूर्व सरपंच निशांत छौक्कर ने मेहमानों का स्वागत किया। संघ शास्तस पूज्य गुरुदेव श्री सुदर्शन लाल जी महाराज शुभ जन्म शताब्दी वर्ष 4 अप्रैल 2022 से 4अप्रैल 2023 के उपलक्ष्य में सिद्ध पीठ तीथ सतकुंभा धाम पर सतकुंभा उत्सव समापन अवसर पर अनंत भंडारे की सेवा लाला मांगेराम जैन परिवार पुत्र मेहर सिंह जैन,महेंद्र जैन,ईश्व जैन,सुरेश जैन, किशन जैन ने की है।  शिवेंदु भारद्वाज, प्रबंधक सूरज शास्त्री, पवन शास्त्री, सत्यवान महाराज ने आए हुए श्रद्धालुआें को आशीर्वाद दिया। काला प्रधान समस्त सुरेंद्र कुमार, पुष्प शर्मा, प्रमोद भारद्वाज, पालेराम छौक्कर,जनेस्वर छौक्कर,ब्रह्मपाल सेवा संभाली।

Satkumbha Utsav 2023: Principle and result both exist in Vedas: Dr. Devanand Shukta
पीठाधीश्वर श्री महंत राजेश स्वरुप जी महाराज और डॉ कान्ता भारद्वाज केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली के शैक्षणिक निदेशक डॉ. देव आनंद शुक्ला पत्नी प्रीति शुक्ल को समान्नित करते हुए।

सिद्ध पीठ तीर्थ सत कुंभा धाम के पीठाधीश्वर राजेश स्वरुप जी महाराज ने कहा कि सतकुम्भा उत्सव 2023 के रुद्र महायज्ञ की पूर्णाहुति हुई। इस सात दिवसीय उत्सव में आए सभी श्रद्धालुओं को मैं साधुवाद देता हूं कि उन्होंने यहां पहुंच कर सप्त ऋषियों का आशीर्वाद लिया। स्वर्णप्रस्थ था जो कभी सोने की राजधानी हुआ करता था। हम मानते हैं सोने लंका होती थी उसे सोने की राजधानी कहते थे। उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि सोनीपत सोने की राजधानी हुआ करता था इस स्वर्णप्रथ की धरती पर रावण भी कर के रुप में कुछ ना कुछ देने के लिए यहां पर आता था। इसका संदर्भ पौराणिक ग्रंथों में इतिहास लिखा मिलता है।

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