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Memories

कृष्ण कुमार निर्माण की कलम से : तुम्हारी यादें

 तुम्हारी यादें तुम्हारी यादें आती रहती हैं निरन्तर अनवरत कभी सूखी घास की तरह कभी हरी दूब की तरह कभी तूफानों सी टकराती हैं कभी लहरों सी आती हैं कभी छुअन बन जाती है कभी रुदन बन जाती हैं पता नहीं क्यों..... जलाती रहती हैं मुझे…
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