वेदों की ओर लौटना ही अंधविश्वास से मुक्ति का मार्ग: आचार्य
सोनीपत: आर्य समाज मंत्री कपिल देव वेद वक्ता का सम्मान करते हुए।
सोनीपत, अजीत कुमार। पाखंड और अंधविश्वास ने समाज की जड़ों को कमजोर किया है, इससे मुक्ति का मार्ग केवल आर्य समाज ही दिखा सकता है क्योंकि यह कोई मत या मजहब नहीं, बल्कि वेदों का प्रचार-प्रसार करने वाला संगठन है। ये विचार वैदिक प्रवक्ता आचार्य राजकुमार शर्मा ने काठ मंडी स्थित आर्य समाज परिसर में गुरुवार को आयोजित पांच कुंडीय अथर्ववेद पारायण महायज्ञ में व्यक्त किए।
महायज्ञ के ब्रह्मा ने कहा कि आज समाज में फैल रहा पाखंड और अंधविश्वास चिंता का विषय है। इसके निवारण के लिए महर्षि दयानंद सरस्वती के उपदेशानुसार वेदों की ओर लौटना आवश्यक है, क्योंकि वेद ही ईश्वरीय वाणी हैं। उन्होंने अथर्ववेद में वर्णित अंगिरा ऋषि के उपदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि यज्ञ न करने वाले व्यक्ति का तेज, यश, धन, स्वास्थ्य और सुख नष्ट हो जाते हैं। इसलिए हमें बाहरी आडंबर और पाखंड से दूर रहकर वेदों के अनुसार यज्ञ करना चाहिए, जिससे सुखी और आनंदमयी जीवन व्यतीत हो सके।
महायज्ञ में मंजीत गहलावत-रीना, प्रमोद दहिया-ज्योति और धर्मेंद्र शौकन-नीलम यजमान बने। कार्यक्रम के दौरान समाज सेवा में उत्कृष्ट योगदान के लिए राज्य शिक्षक पुरस्कार प्राप्त सत्यनारायण भारद्वाज तथा वयोवृद्ध आर्यसमाजी कलावती आर्या को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर आर्य समाज मंत्री कपिल देव, कोषाध्यक्ष अरुण दहिया, प्राचार्य नरेन्द्र सिंह, सतबीर सरोहा, प्रवीण दहिया, पुरुषोत्तम दास, धर्मपाल सिद्धांती, प्रेम सिंह आर्य, सीमा, बबीता, मंजू, वर्षा, रजवंत, सोनिया, सतेन्द्र, दिलावर और जसबीर सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।
