पुतिन के भारत दौरे से रिश्तों को नई गति, मोदी ने एयरपोर्ट पर किया विशेष स्वागत
रूसी राष्ट्रपति पुतिन का रेड कार्पेट बिछाकर स्वागत किया गया।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार शाम दो दिन के भारत दौरे पर पहुंचे। उनके साथ सात मंत्रियों का बड़ा प्रतिनिधिमंडल आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोटोकॉल से परे जाकर एयरपोर्ट पर पुतिन का स्वागत किया और दोनों नेता एक ही गाड़ी में बैठकर प्रधानमंत्री आवास पहुंचे। आज दोनों नेताओं के बीच दो अहम बैठकें होंगी, जिनमें से एक बंद कमरे में होगी। उम्मीद है कि भारत और रूस के बीच 25 से ज्यादा समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। आज सुबह राष्ट्रपति भवन में पुतिन का औपचारिक स्वागत किया जाएगा और वे राजघाट पर जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देंगे। इसके बाद हैदराबाद हाउस में भारत-रूस की 23वीं सालाना समिट होगी। शाम को दोनों नेता बिजनेस फोरम को भी संबोधित करेंगे और रात में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पुतिन के सम्मान में स्टेट डिनर देंगी।

मोदी का एयरपोर्ट पर जाकर स्वागत करना बेहद विशेष माना जा रहा है। बीते 11 वर्षों में उन्होंने केवल छह विदेशी नेताओं का ही हवाई अड्डे पर स्वागत किया है, जिनमें बराक ओबामा, शेख हसीना, शिंजो आबे, डोनाल्ड ट्रंप, मोहम्मद बिन जायेद और शेख तमीम शामिल हैं। यह दर्शाता है कि भारत रूस को कूटनीतिक दृष्टि से कितना महत्व देता है, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिकी टैरिफ और यूक्रेन युद्ध जैसी स्थितियां वैश्विक संबंधों को प्रभावित कर रही हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने पुतिन को रूसी भाषा में अनूदित भगवद्गीता की प्रति भेंट की, जिसे पुतिन की यात्रा का भावनात्मक पहलू माना जा रहा है। क्रेमलिन ने भी मोदी के इस गर्मजोशी भरे स्वागत को अप्रत्याशित बताते हुए सराहना की।

भारत दौरे के दूसरे दिन पुतिन राष्ट्रपति भवन में स्वागत समारोह के बाद राजघाट जाएंगे, फिर द्विपक्षीय और प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ताएं होंगी। बिजनेस फोरम में हिस्सा लेने के बाद राष्ट्रपति भवन में आयोजित भोज में शामिल होकर वे मॉस्को रवाना होंगे। उनकी यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत और रूस दशकों से रक्षा, ऊर्जा और कूटनीतिक क्षेत्रों में मजबूत साझेदार रहे हैं। भारत की रक्षा जरूरतों का बड़ा हिस्सा अब भी रूस से आने वाली आपूर्ति पर निर्भर है। सोवियत काल से चली आ रही यह साझेदारी आज एस-400 मिसाइल सिस्टम, एके-203 राइफल निर्माण और अन्य सामरिक परियोजनाओं के रूप में जारी है।

दोनों देशों के बीच सैन्य तकनीकी सहयोग कार्यक्रम को 2031 तक बढ़ाया जा चुका है, जिसके तहत अनुसंधान, विकास, उत्पादन और रख-रखाव में गहरा सहयोग तय है। भारत हाल के वर्षों में फ्रांस, अमेरिका और इस्राइल से भी रक्षा खरीद बढ़ा रहा है, लेकिन रूस आज भी उसकी रणनीतिक जरूरतों का बड़ा हिस्सा पूरा करता है। यही कारण है कि पुतिन की इस यात्रा से रक्षा क्षेत्र में नई प्रगति की उम्मीद है। विशेषज्ञों के अनुसार भारत लड़ाकू विमानों, नौसैनिक तकनीक, मिसाइल प्रणालियों और संयुक्त उत्पादन परियोजनाओं पर नए समझौते आगे बढ़ा सकता है। कुल मिलाकर पुतिन का यह दौरा भारत-रूस संबंधों को राजनीतिक, सामरिक और आर्थिक स्तर पर नई दिशा देने वाला माना जा रहा है।
