वंदे मातरम् भारत की आत्मा है : कुलगुरु प्रो. प्रकाश सिंह
सोनीपत: दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल में वंदे मातरम् करते हुए।
सोनीपत, अजीत कुमार। दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल में शुक्रवार को वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ। कुलगुरु प्रो. प्रकाश सिंह के नेतृत्व में हजारों विद्यार्थियों ने एक स्वर में वंदे मातरम् गाकर परिसर को देशभक्ति की भावना से भर दिया। भारत माता की जय और जय हिंद के नारों से पूरा सभागार गूंज उठा।
कुलगुरु प्रो. सिंह ने कहा कि वंदे मातरम् केवल गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा, अस्मिता और अदम्य देशभक्ति का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि 1875 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत स्वतंत्रता आंदोलन की चेतना बना। जब 1896 में इसे कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार गाया गया, तब यह स्वतंत्रता सेनानियों के हृदय की धड़कन बन गया। महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह और अरविंद घोष जैसे महानायक इसी गीत से प्रेरित हुए।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने एक अक्तूबर को वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ राष्ट्रव्यापी रूप से मनाने की मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य युवाओं को इस गीत की क्रांतिकारी भावना और सांस्कृतिक संदेश से जोड़ना है। कुलगुरु ने कहा कि वंदे मातरम् का अर्थ केवल माता की वंदना नहीं, बल्कि मातृभूमि की सेवा का संकल्प भी है। आज यह उतना ही प्रासंगिक है जितना स्वतंत्रता आंदोलन के समय था। यह गीत आत्मनिर्भर भारत की दिशा में प्रेरणा देता है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण के मूल्यों को आत्मसात कराने के लिए प्रतिबद्ध है। हर छात्र केवल डिग्रीधारी नहीं, बल्कि उत्तरदायी नागरिक बने यही वंदे मातरम् का संदेश है। इस अवसर पर रजिस्ट्रार डॉ. अजय गर्ग, इंजीनियर विक्रम सिंह, डॉ. आरती देवेश्वर, डॉ. राजेंद्र मलिक, संदीप अहलावत, मेजर संजय श्योराण, शिक्षक, कर्मचारी और हजारों विद्यार्थी उपस्थित रहे।
