सोनिया गांधी को कोर्ट का नोटिस, 1980–81 वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने पर उठे सवाल
भाजपा का आरोप है कि सोनिया को 1983 में भारत की नागरिकता मिली, लेकिन वे 1980 में वोटर बन गई थीं।
नई दिल्ली। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस उस याचिका पर जारी हुआ है जिसमें दावा किया गया है कि 1980–81 की वोटर लिस्ट में सोनिया गांधी का नाम गलत तरीके से शामिल किया गया था, जबकि वे भारतीय नागरिक 30 अप्रैल 1983 को बनीं। याचिका में उस आदेश को भी चुनौती दी गई है जिसमें मजिस्ट्रेट ने सोनिया गांधी के खिलाफ दायर शिकायत को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को भी नोटिस भेजा है और पूरे केस का रिकॉर्ड (TCR) मंगाया है। अब अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी, जिसमें सोनिया गांधी और राज्य सरकार को अपना जवाब देना होगा।
यह याचिका विकास त्रिपाठी ने दायर की है और इसकी सुनवाई विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) विशाल गोगने की अदालत में हुई। याचिकाकर्ता का दावा है कि 1980 में नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट में सोनिया गांधी का नाम शामिल था, जबकि उस समय वे भारतीय नागरिक नहीं थीं। इससे पहले 11 सितंबर को राउज एवेन्यू कोर्ट के एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि चुनाव संबंधी मामलों में हस्तक्षेप संविधान के अनुच्छेद 329 के विरुद्ध होगा।
इस विवाद की पृष्ठभूमि में भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय का वह दावा भी शामिल है जिसमें उन्होंने कहा था कि सोनिया गांधी का नाम वोटर लिस्ट में दो बार गलत तरीके से जोड़ा गया। उनका कहना था कि 1980 में पहली बार नाम जोड़ा गया, जबकि सोनिया तब इटली की नागरिक थीं। विरोध के बाद नाम हटाया गया, लेकिन 1983 में फिर जोड़ा गया, जबकि उस समय भी वे नागरिक नहीं थीं, क्योंकि भारतीय नागरिकता उन्हें 30 अप्रैल 1983 को मिली।
भाजपा का आरोप है कि यह चुनावी प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ी का मामला है। मालवीय ने यह सवाल भी उठाया था कि राजीव गांधी से शादी के 15 साल बाद सोनिया गांधी ने नागरिकता क्यों ली। इस मुद्दे पर कोर्ट का अगला आदेश अब 6 जनवरी की सुनवाई में तय होगा।
