निरंकारी मिशन की शिक्षा अमृत समान मनुष्य पहले मनुष्य बने: मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी
सोनीपत निरंकारी संत समागम में समागम में उपस्थित श्रद्धालु को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी।
- -संत निरंकारी मिशन आत्ममंथन, आत्म-सुधार और समाज-निर्माण का प्रेरक केंद्र
- -निरंकारी मिश का सार्थक संदेश है मानवता एकता और सेवा ही सच्चा धर्म
सोनीपत, (अजीत कुमार)। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि मानवता, एकता और सेवा ही जीवन का सच्चा धर्म है। संत निरंकारी मिशन वर्षों से इस भावना को संसार में फैलाकर समाज को दिशा दे रहा है। वे रविवार को समालखा-गन्नौर हल्दाना बॉर्डर स्थित निरंकारी आध्यात्मिक स्थल पर आयोजित चार दिवसीय 78वें निरंकारी संत समागम के अवसर पर बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उनके लिए परम सौभाग्य की बात है कि उन्हें पूजनीय माता सुदीक्षा जी महाराज और निरंकारी राजपिता जी महाराज के सान्निध्य में यह पावन अवसर मिला। उन्होंने कहा कि निरंकारी मिशन ने सदैव मानवता, प्रेम और करुणा का संदेश दिया है। इस मिशन का उद्देश्य जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्रीय भेदभाव से ऊपर उठकर मानव को मानव से जोड़ना है। मनुष्य पहले मनुष्य बने यही इस मिशन की मूल शिक्षा है, जो आज की विभाजित दुनिया के लिए अमृत समान है।

मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि संत निरंकारी मिशन आत्ममंथन, आत्म-सुधार और समाज-निर्माण का प्रेरक केंद्र है। जब व्यक्ति अपने भीतर झांकता है और सुधार लाता है, तभी समाज और राष्ट्र में सच्चा परिवर्तन संभव होता है। मिशन हमें सिखाता है कि ईश्वर कोई दूर की सत्ता नहीं बल्कि हमारे भीतर ही विद्यमान है, और जब हम इसे पहचान लेते हैं, तो हर प्राणी में उसी परमात्मा का अंश देखने लगते हैं। यही भावना हमें भेदभाव मिटाकर प्रेम, सहयोग और एकता के मार्ग पर ले जाती है।
उन्होंने कहा कि निरंकारी मिशन केवल आध्यात्मिकता तक सीमित नहीं है, बल्कि समाजसेवा में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। रक्तदान, वृक्षारोपण, पर्यावरण संरक्षण, नशा मुक्ति, शिक्षा सहयोग और आपदा राहत जैसे अनेक क्षेत्रों में मिशन का कार्य अनुकरणीय है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष निरंकारी मिशन ने एक ही समय में तीन हजार पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया था।
मुख्यमंत्री ने मिशन के अनुशासन, सेवा भावना और सामाजिक उत्तरदायित्व को आदर्श बताया और कहा कि इससे सरकारें भी प्रेरणा ले सकती हैं। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं, स्वयंसेवकों और आयोजकों का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस समागम से प्रेरणा लेकर हर व्यक्ति अपने विचारों को निर्मल करे और समाज के कमजोर वर्गों की सेवा में योगदान दे। अंत में उन्होंने माता सुदीक्षा जी महाराज के चरणों में नमन कर सभी को प्रेम, शांति और एकता का संदेश दिया।
