ज्योतिष क्या है: मानव जीवन का खगोलीय विज्ञान
ज्योतिष क्या है।
नई दिल्ली। ज्योतिष एक प्राचीन और गूढ़ विद्या है, जो मानव जीवन, ग्रह-नक्षत्रों और ब्रह्मांड के बीच के संबंधों का अध्ययन करती है। संस्कृत में ‘ज्योतिष’ शब्द का अर्थ है—‘प्रकाश का विज्ञान’ या ‘दैवी ज्योति से संबंधित ज्ञान’। यह वेदों की छह वेदांग विद्या में से एक है और इसका उद्देश्य जीवन के मार्ग को प्रकाशमान करना है।
ज्योतिष का आधार यह मान्यता है कि ब्रह्मांड में स्थित ग्रह-नक्षत्र न केवल प्रकृति पर, बल्कि मानव के विचारों, कर्मों और भाग्य पर भी प्रभाव डालते हैं। व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों की स्थिति को देखकर ज्योतिषी उसकी जन्म कुंडली बनाते हैं, जो उसके जीवन की दिशा और संभावित घटनाओं का संकेत देती है। सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु — ये नौ ग्रह मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे स्वास्थ्य, करियर, विवाह और धन पर प्रभाव डालते हैं।
ज्योतिष को तीन मुख्य भागों में विभाजित किया गया है — सिद्धांत ज्योतिष, जो ग्रहों की गति और खगोलीय गणनाओं का अध्ययन करता है; संहिता ज्योतिष, जो देश, काल और मौसम से जुड़ी भविष्यवाणियाँ करता है; और होरा ज्योतिष, जो व्यक्तिगत जन्मकुंडली और भविष्यवाणी से संबंधित है।
हालाँकि आधुनिक विज्ञान इसे अंधविश्वास मानता है, लेकिन भारत सहित अनेक देशों में ज्योतिष को अभी भी जीवन का मार्गदर्शक और आत्मचिंतन का साधन माना जाता है। यह केवल भविष्य बताने की कला नहीं, बल्कि जीवन की परिस्थितियों को समझने और उनसे सही दिशा में आगे बढ़ने का माध्यम भी है।
ज्योतिष हमें यह सिखाता है कि ग्रह केवल भाग्य नहीं तय करते — वे हमें अपनी कर्म-शक्ति से उसे बदलने की प्रेरणा देते हैं।
